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बाबा शरणम् गच्छामि

देश को विश्व गुरु बनाने वाले, वोटर लिस्ट में सांप-सीढ़ी का खेला करने वाले, नोटबंदी करके विदेश से काला धन वापस लाने वाले, कपड़े देखकर पहचान करने वाले, आजकल पटना को पुणे, मोतिहारी को मुंबई और गया जी को गुरुग्राम बनाने की मैराथन दौड़ लगा रहे हैं

बाबा शरणम् गच्छामि
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- सुरेश सौरभ

देश को विश्व गुरु बनाने वाले, वोटर लिस्ट में सांप-सीढ़ी का खेला करने वाले, नोटबंदी करके विदेश से काला धन वापस लाने वाले, कपड़े देखकर पहचान करने वाले, आजकल पटना को पुणे, मोतिहारी को मुंबई और गया जी को गुरुग्राम बनाने की मैराथन दौड़ लगा रहे हैं।

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में नए मापदंड स्थापित रहे हैं, नया इतिहास बना रहे हैं और देश पवित्रता-शु़द्धता के लिए गंगाजल से चलकर गोमूत्र तक होते हुए, अब इंसानी मूत्र तक की यात्रा में कायदे से लगा हुआ है। अमृत काल का युग है, कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा हो रही है और बेरोजगार जब रोजगार के लिए अपनी आवाज बुलंद करते हैं तो उन पर लाठियां भांजी जा रहीं हैं। भाई साहेब, अपनी पुलिस इको फ्रेंडली हो चुकी है, हर जगह, हर तरीके से अपना फर्ज अदा कर रही है। अपना राष्ट्र धर्म निभाते हुए कहीं कांवड़ियो के पैर दबा रही है, कहीं चोटिल कांवड़ियों की मरहम-पट्टी कर रही है, कहीं थके-हारे कांवड़ियों के आगे पंखा झलते हुए उन्हें सुकून और शांति प्रदान कर रही है। दूसरी ओर खाद के लिए संघर्ष कर रहे अन्नदाता किसानों पर लाठियां भांजते हुए हमारी पुलिस अपना मौलिक कर्तव्य बड़ी दूरदर्शिता के साथ निभा रही है।

कहा जा रहा है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। पर यह कौन से भूत पैदा हो गये जो आजकल कहीं सीमा के जवान को धुनते हैं, कहीं खाना खाकर, उसमें अंडे की करी का झूठा आरोप लगाकर होटल वाले को धुनते हैं, कहीं किसी गरीब की दुकान तोड़ते-फोड़ते हैं। कहीं स्कूटी लेकर जा रही किसी युवती को प्रताड़ित करते हैं। इन उपद्रवी आतंकी भूतों का कौन इलाज करेगा। कौन बाबा इनकी पर्ची निकाल कर इन्हें शान्त करेगा।

कांवड़ियों के रास्तों पर मांस मछली की दुकानों पर कड़ी पाबंदी हैे, मगर दारु गांजा भांग की दुकानों पर ऊपर वालो का रहमो करम है। शंकराचार्य का उवाच-भगवान की कथा उवाचने का सिर्फ ब्राह्मण देवताओं का सनातन एकाधिकार है, अगर दूसरा गैर ब्राह्मण कथा उवचेगा तो यह अपराध है, उसे पाप लगेगा?। पर कांवड़ सभी ले जा सकते हैं, मंदिर में घंटा-घड़ियाल, नगाड़ा, चिमटा सभी बजा सकते हैं। रथ यात्रा में भीड़ का हिस्सा बन कर, रथ सभी अपने कंधों पर उठा सकते हैं। (देश को विश्व गुरु बनाने वाले, वोटर लिस्ट में सांप-सीढ़ी का खेला करने वाले, नोटबंदी करके विदेश से काला धन वापस लाने वाले, कपड़े देखकर पहचान करने वाले, आजकल पटना को पुणे, मोतिहारी को मुंबई और गया जी को गुरुग्राम बनाने की मैराथन दौड़ लगा रहे हैं। सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं और कदम-कदम पर शराब के ठेके निरंतर खुल रहे हैं, किसी ने चलाया, स्कूल चलो अभियान, किसी ने चलाया, स्कूल बंद करो अभियान। बाबा पहले उसे कहते थे जो बूढ़ा हो जाता था। जिसके दाढ़ी-बाल पक जाते थे, अब बाबा कोई भी, किसी भी उम्र का बन कर मालामाल हो सकता है। बस उसको बाबा वाली सही ड्रेस पहननी आती हो। थोड़ी-मोड़ी, धूर्तता, मक्कारी आती हो। शासन सत्ता से घनी यारी करनी आती हो। सोशल मीडिया में रोज-रोज उलटबांसी करनी आती हो। आजकल बाबाओं का बोलबाला है। सबका भला कर बाबा ही रहे हैं, इसलिए बाबा शरणम गच्छामि।


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