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एंग्री बर्ड

'क्यों बहन! बड़ी उदास दिख रही हो। क्या बात है

एंग्री बर्ड
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- यशोधरा भटनागर

'क्यों बहन! बड़ी उदास दिख रही हो। क्या बात है?'

'कुछ नहीं, समय तेजी से बदला है। बदलते समय के साथ इंसान बिलकुल बदल गया।'

गुलमोहर की शाखा पर, घने हरे पत्तों की छांह में बैठी चिड़ियां बतिया रही थीं।

'देखो न! हम इनके साथ इनके घरों में कितने प्यार से रहते थे।'

'हमारी कहानियां बच्चे कितने चाव से सुनते थे।'

'एक थी चिड़िया, एक था चिरौंटा चिड़िया लाई चावल का दाना, चिड़ा लाया दाल का दाना। दोनों ने बनाई खिचड़ीज्.!'

'चींचींज् चींचीं कहकर ये हमें कितना प्यार करते थे।'

'बहन, नन्हे को देखो। मोबाइल पर चलती उंगलियों संग यह अपनी ही दुनिया में डूबा है जहां सब कुछ नकली है, झूठा है, आभासी है पर उसी को देख-देखकर यह हँसता है, मुस्कुराता है और उदास होता है। इसके संगी साथी हैं- एंग्री बर्ड!'

'ऐसी कोई चिड़िया तो हमारी दुनिया में नहीं है।'

इन बच्चों की यह कौन-सी दुनिया है जिसमें न हम हैं, न पेड़ हैं, न घास है और न इंसान हैं?'

बच्चे 'एंग्री बर्ड्स' विडियो गेम खेल रहे थे। दोनों चिड़ियां ऊपर से झांक-झांक कर 'नई दुनिया' को पहचानने की कोशिश कर रही थीं!


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