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इतिहास पर जमी धूल को साफ करती पुस्तक

प्रो.राम पुनियानी हमारे देश को देश की भाषा में संबोधित करने वाले अत्यंत लोकप्रिय विचारक एवं लेखक हैं

इतिहास पर जमी धूल को साफ करती पुस्तक
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- कश्मीर सिंह उप्पल

प्रो.राम पुनियानी हमारे देश को देश की भाषा में संबोधित करने वाले अत्यंत लोकप्रिय विचारक एवं लेखक हैं। भारत के मीडिया के लगभग सभी क्षेत्रों में वे देश की बात करते और लिखते हुए मिल-दिख जाते हैं। दैनिक अखबारों में उनके लेख पाठकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल होते हैं। देश के कोने-कोने में जाकर वर्तमान जटिल प्रश्रों से मुठभेड़ करने वाले प्रो. पुनियानी, इलेक्ट्रानिक मीडिया पर भी अनसुलझे विषयों पर अत्यंत शांत भाव से रौशनी डालते दिखते रहते हैं।

राम पुनियानी की बातचीत और लेखन की विशेषता यह है कि वे अपने सही तर्कों और ऐतिहासिक संदर्भों को किस तरह सामने रखते हैं कि उनका वर्तमान अपने आप स्पष्ट होकर सामने आ जाता है। यह कहा जाता है कि वह इतिहास के अंधेरे कोनों को अपने ज्ञान की रौशनी से भर देते है। उनके तर्क इतने मजबूत होते है कि उनके लिखे-बोले पर झंझावात कम ही खड़े होते हैं।

यह दूसरी बात है कि उनकी तर्कशीलता पर अधिकांश वाद-विवाद प्रायोजित ही होते हैं। वर्तमान समय में लिखे-बोले पर इतना वितंडा खड़ा होता है कि बोले गये शब्द अपनी गवाही देने के लिए उपस्थित नहीं हो पाते हैं। ऐसे समय में 10 से अधिक पुस्तकों के लेखक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता अवार्ड (2006) और राष्ट्रीय एकता अवार्ड (2007) के सम्मान प्राप्त करने वाले राम पुनियानी की यह नई पुस्तक 'खतरे में धर्म निरपेक्षता' (2020-25) एक आश्वासन की तरह हमारे सामने उपस्थित हुई है। इसे पढ$कर लगता है कि मानो हम किसी भूल-भूलियां वाले रास्ते से पुन: अपने गंतव्य-मार्ग पर आ खड़े हुए है।

इस पुस्तक के शीर्षक से भी कहीं अधिक विस्तारित है इस पुस्तक की विषय वस्तु। यह पुस्तक इतिहास, धर्म, राजनीति, साहित्य, पत्रकारिता, फिल्म, शिक्षा व्यवस्था और चुनाव आदि जैसे सरल लगने वाले विषयों पर गंभीर टिप्पणियां करती है। इन टिप्पणियों के प्रकाश में हमें दिखाई देता है कि देश की वर्तमान समस्याओं और संकटों के सही-सही कारण कहां छुपे हुए है?

प्रो. पुनियानी एक लेख में बताते है कि अमेरिकी मीडिया ने ही 'इस्लामिक आतंकवाद' शब्द गढ़ा था और पूरी दुनिया में इस्लाम के प्रति डर और शत्रुता का भाव अपने माध्यमों के माध्यम से उत्पन्न किया था। राम पुनियानी बताते है कि पश्चिम एशिया में कच्चे तेल के संसाधनों पर कब्जा करने के लिए अमेरिका ने यहां के कट्टरवादी समूहों और संगठनों को बढ़ावा देना शुरू किया था। इसके साथ ही अमेरिका ने अफगानिस्तान में रूस का मुकाबला करने के लिए इस क्षेत्र में आपसी मैत्री भाव को समाप्त कर दिया।

अमेरिका ने पाकिस्तान में स्थापित मदरसों के जरिए मुस्लिम युवकों के दिमाग में ज़हर भरना शुरू किया था, इसके लिये उसने इस क्षेत्र में 800 करोड़ डॉलर नगद और 7 हज़ार टन आधुनिक हथियारों की सहायता पहुंचाई थी। अमेरिका द्वारा खड़ा किया गया तालिबान और अनेक संगठन पूरी दुनिया में अपनी हिंसक कार्यवाहियों के लिए जाने जाते हैं।

हम राम पुनियानी की इस बात को आगे बढ़ाते हुए समझ पाते हैं कि वर्तमान ईरान-इज़राइल युद्ध के समय अमेरिका ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को क्यों व्हाइट हाउस आमंत्रित किया था। ऐसा क्या है कि किसी राष्ट्रपति को पाकिस्तान के सेना प्रमुख की मेजबानी करनी पड़ी। इसी तरह के अन्य संदर्भ भी इतिहास पर जमीं धूल को साफ करते चलते है। चाहे वह देश की आंतरिक राजनीति और सांस्कृतिक क्रांति का ही मामला क्यों न हो?

इस पुस्तक में भारत की अवधारणा, कलबुर्गी की हत्या, गौरी लंकेश की हत्या, बढ़ती असहिष्णुता, धर्म-परिवर्तन एक राजनीतिक हथियार, घृणाजनित हत्याएं, लोकसत्ता पर हमला, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नेहरू, जिन्ना, टीपू सुल्तान आदि विषयों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए भारत की एक मजबूत छवि हमारे सामने रखते हैं।

इस पुस्तक का संपादन, विचारक, लेखक और साहित्य समीक्षक प्रो.रविकांत ने किया है। रविकांत के संपादन और पुस्तक की उनकी भूमिका से यह पुस्तक देश के सामने खड़ी हुई अनेक चुनौतियों को समझने का एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ ही बन जाती है।


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