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निर्मल चौधरी की गिरफ्तारी निंदनीय और अलोकतांत्रिक : सचिन पायलट

राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी की गिरफ्तारी ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने इस मामले में राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार देते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए

निर्मल चौधरी की गिरफ्तारी निंदनीय और अलोकतांत्रिक : सचिन पायलट
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जयपुर। राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी की गिरफ्तारी ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने इस मामले में राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार देते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।

पायलट ने कहा कि सरकार विरोध की आवाज को दबाने के लिए प्रशासन और पुलिस का दुरुपयोग कर रही है।

सचिन पायलट ने तल्ख लहजे में कहा, “सरकार का यह रवैया साफ है, जो हमारे खिलाफ बोलेगा, जो लड़ेगा, उसे कुचल देंगे। यह निंदनीय और अलोकतांत्रिक है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन और धरना देना हर नागरिक का संवैधानिक हक है और विपक्ष का दायित्व है कि वह जनता की आवाज उठाए। लेकिन सरकार ऐसी कार्रवाइयों से गलत संदेश दे रही है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। सरकार इस तरीके की कार्रवाई करके जो संदेश देने का काम कर रही है, उसे जायज नहीं ठहराया जा सकता। वह निंदनीय है।"

उदयपुर संभाग के सबसे बड़े एमबी चिकित्सालय स्थित दिलशाद हॉस्टल में एक युवा डॉक्टर रवि शर्मा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत का मामला गर्मा गया है।

पायलट ने इस घटना का जिक्र करते हुए सरकार की लापरवाही पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हाल ही में उदयपुर में एक डॉक्टर के साथ दुखद घटना घटी और अब इस युवा की मौत के कारण लोग विरोध और प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसी परिस्थितियां क्यों पैदा हो रही हैं? यह स्पष्ट रूप से सिस्टम में कमियों की ओर इशारा करता है। कहीं न कहीं प्रशासन और सरकार के काम करने का तरीका, लापरवाही, लापरवाही वाला रवैया, गंभीरता की कमी को दर्शाता है, जिससे युवा डॉक्टर की मृत्यु हुई।

उन्होंने आगे कहा कि उसके परिवार और सहकर्मी न्याय की मांग कर रहे थे। इस मामले को सुलझा लिया गया और सरकार ने कार्रवाई की, जिससे परिवार संतुष्ट हो गया, लेकिन इसमें अनुचित रूप से लंबा समय लग गया। अगर सरकार ने पहले ही संवेदनशीलता दिखाई होती, तो पीड़ित परिवार को इतनी तकलीफ नहीं झेलनी पड़ती।


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