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एलएसी और एलओसी पर एकसाथ जूझना होगा सेना को आने वाले समय में

रक्षाधिकारियों ने इसके प्रति चिंता प्रकट की है कि अगले कुछ महीनों में भारतीय सेना को एलएसी तथा एलओसी पर एकसाथ दो मोर्चों पर जूझना होगा।

एलएसी और एलओसी पर एकसाथ जूझना होगा सेना को आने वाले समय में
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जम्मू । रक्षाधिकारियों ने इसके प्रति चिंता प्रकट की है कि अगले कुछ महीनों में भारतीय सेना को एलएसी तथा एलओसी पर एकसाथ दो मोर्चों पर जूझना होगा। एलएसी पर चीनी सेना लद्दाख में मोर्चा खोले हुए है और अब एलओसी पर पाक सेना ने भयानक गतिविधियां आरंभ की हैं।

पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी तथा 264 किमी लंबी आईबी अर्थात इंटरनेशनल बार्डर पर सीजफायर के बावजूद पाक सेना गोले बरसा भयानक माहौल पैदा किए हुए है। सीजफायर उल्लंघन के पीछे का उसका मकसद आतंकियों तथा हथियारों को इस ओर भिजवाना है।

एलओसी पर परिस्थिति कितनी भानक हैं अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 8 महीनों में 3200 बार संषर्घ विराम का उल्लंघन करने वाली पाक सेना को करारा जवाब देने की खातिर सीफजायर के बावजूद भारतीय सेना को कई बार बोफोर्स तोपों का मुंह खोलना पड़ा है। हर बार पाक सेना को जबरदस्त क्षति उठानी पड़ती है पर बावजूद इसके वह ऐसे कामों से बाज नहीं आती है।

एलओसी और आईबी पर सीजफायर के बावजूद युद्ध का माहौल है। फिलहाल एलएसी पर ऐसा तो नहीं है लेकिन जंग कब छिड़ जाए कहा नहीं जा सकता। सीजफायर के बावजूद एलओसी और आईबी को पाक सेना प्रतिदिन गोलों की बरसात से पाट रही है। ऐसे में लोगों को चिंता इसके प्रति है कि इस साल 26 नवम्बर को क्या सीजफायर अपने 17 साल पूरे कर पाएगा।

चिंता का माहौल एलएसी के प्रति भी है जहां चीनी सेना लगातार अपने सैनिकों की तादाद को बढ़ा रही है। अनुमानतः 70 से 80 हजार चीनी सैनिक लद्दाख सेक्टर में आ जुटे हैं। दोनों पक्ष आमने सामने हैं। बस एक चिंगारी की जरूरत है और दोनों के बीच युद्ध किसी भी समय छिड़ सकता है। चीनी सेना की ओर से ऐसे प्रयास कई बार हो चुके हैं पिछले 3 हफ्तों में जिससे युद्ध की चिंगारी भड़क जाए।

अब तो भारतीय सेना ने भी माना है कि इस अवधि में चीन के सैनिकों ने करीब चार बार एलएसी पर गोलियां दागी हैं। चीन का ऐसा ही आरोप भारतीय सेना पर भी है। हालांकि भारतीय सेना कहती थी कि चीनी सैनिकों के अतिक्रमण के प्रयासों को धकेलने की खातिर केवल हवाई फायरिंग की गई थी। यह हवाई फायरिंग कब आमने सामने की गोलीबारी में बदल जाए कहना मुश्किल है।

हालांकि एलएसी का माहौल एलओसी से भी अधिक भयानक होने जा रहा है। दोनों ओर से करीब डेढ़ लाख सैनिक जमा किए जा चुके हैं। टैंक रेजिमेंटों, तोपखानों के अतिरिक्त मिसाइलों को भी तैनात किया जा चुका है। वायुसेना के लड़ाकू विमान लगातार आसमान पर गरज रहे हैं। ऐसे में सभी की चिंता आने वाले महीनों को लेकर है। खासकर भारतीय पक्ष की चिंता का कारण एकसाथ एलओसी तथा एलएसी के मोर्चों के खुल जाने की है।

--सुरेश एस डुग्गर--


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