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क्या अनपेड इंटर्नशिप युवाओं का शोषण है

कंपनियों में इंटर्नशिप बीते सालों में लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या बिना वेतन के इंटर्नशिप कराना शोषण है.

क्या अनपेड इंटर्नशिप युवाओं का शोषण है
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करियर बनाने की ओर बढ़ते युवाओं के लिए इंटर्नशिप एक पहली सीढ़ी की तरह होती है. वो उनके लिए एक लर्निंग पीरियड होता है, जिसमें वो किसी भी संस्थान के काम करने के तरीके को समझते हैं. बड़े संस्थानों में की गई इंटर्नशिप युवाओं की सीवी को चमकाती है, जिसमें युवा अपने करियर के उस पॉइंट पर पैसे की बजाय अनुभव को ज्यादा अहमियत देता है.

अपनी इंटर्नशिप के दौरान वह फुल टाइम काम कर रहा होता है. ऐसे में कुछ कंपनियां उन्हें स्टाइपेंड देती हैं, तो कुछ कंपनियां इसके लिए किसी भी तरह की पेमेंट नहीं करती हैं. यहां से चर्चा शुरू होती है कि यह कितना सही या गलत है. दुनियाभर में कई जगहों पर अनपेड इंटर्नशिप आम हो गई है, जिसकी आलोचना में कहा जाता है कि यह युवाओं का शोषण है और गरीब तबके से आने वाले छात्रों के लिए यह और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है. संयुक्त राज्य संघ, अमेरिकी कांग्रेशनल ऑफिस समेत कई बड़ी संस्थाएं हैं, जहांट इंटर्न को बहुत ही कम या पैसे नहीं दिए जाते हैं.

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बीते हफ्ते, यूरोपिय संसद की अनपेड इंटर्नशिप को प्रतिबंधित करने पर रिपोर्ट पेश हुई. जिसके पक्ष में संसद ने वोट दिया. ये इंटर्नशिप एकेडमिक कामों के दौरान की जाने वाली इंटर्नशिप को शामिल नहीं करता है. यह इस ओर लिया गया अहम कदम माना जा रहा है. फ्रांस ने 2014 में ही नॉन एकेडमिक ओपन मार्केट इंटेर्नशिप को बैन कर दिया. एक अमेरिकी अखबार के मुताबिक नेशनल एसोसिएशन ऑफ कॉलेजेज एंड एम्प्लॉयर्स का डाटा बताता है कि अमेरिका में साल 2022 में 47 प्रतिशत इंटर्न्स को किसी भी तरह से भुगतान नहीं किया.

क्यों कर रहे हैं युवा मुफ्त में इंटर्नशिप

पाकिस्तान से यूरोप आई पढ़ने आईं 29 साल रमीशा अली बताती हैं, "मैंने तीन अनपेड इंटेर्नशिप की है. मुझे लगता है कि ये आपको नई चीजें सीखने में बहुत मदद करती हैं. इससे प्रोफेशनल एक्सपीरियंस होता है और कई बार नौकरी मिलने में मदद मिलती है.

इसी तरह दो साल पहले 27 साल के करन अल्मोड़ा, भारत से फ्रांस के ईडीएचईसी बिजनेस स्कूल में पढ़ने आए. वह बताते हैं, "फिलहाल मैंने कोई अनपेड इंटर्नशिप नहीं की है. स्टूडेंट या युवाओं द्वारा अनपेड इंटर्नशिप चुनने को लेकर करन कहते हैं कि, मेरे यूरोप के अनुभव से यहां इंटर्नशिप ढूंढना बहुत मुश्किल है. लोग सीवी में गैप नहीं देखना चाहते हैं क्योंकि इससे जॉब लेने में काफी परेशानी होती है."

वहीं, फ्रांस की विक्टवा बताती हैं, "मैंने 2 अनपेड इंटर्नशिप की और ज्यादा अनपेड इंटेर्नशिप के लिए भी तैयार थी. मैंने अपनी पहली इंटर्नशिप 18 साल की उम्र में की थी. यह मेरी कॉलेज डिग्री के लिए जरूरी थी. जब मुझे इसके लिए पैसे मिले तो, मुझे हैरानी भी हुई थी. क्योंकि उस समय मेरी उम्र कम थी और उस समय मैं स्पैनिश नहीं बोलती थी."

विक्टवा ने आगे कहा, "मेरी पहली अनपेड इंटर्नशिप कोविड के दौरान थी, तब इंटर्नशिप मेरे लिए अनिवार्य था क्योंकि यह मेरे पाठ्यक्रम का हिस्सा था. मुझे एक इंटर्नशिप मिली और उस समय मैंने यह ले ली, क्योंकि मुझे उस समय उसकी जरूरत थी. इसके लिए मुझे अपनी कार से जाना पड़ता और मेरे पेरेंट्स खुश नहीं थे. मगर मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था. मेरी तीसरी इंटर्नशिप में भी कुछ ऐसा ही हाल था. मगर अब मुझे अनपेड इंटर्नशिप करने में बहुत परेशानी होगी क्योंकि अब मेरे पास इससे जुड़ा अनुभव है."

अनपेड इंटर्नशिप करने के पीछे की वजहों में मशहूर कंपनी के साथ काम करना, इंटर्नशिप के दौरान नेटवर्किंग करना, सीवी के लिए अनुभव जमा करना शामिल है. इसके अलावा, कई बार उस कंपनी में फुल टाइम नौकरी मिलने के आसार भी बढ़ जाते हैं.

समान सैलरी की जिम्मेदारी अब कंपनी पर

क्या ये शोषण है

हांगकांग की 30 साल की स्टेसी ने हाल ही में अपनी इंटर्नशिप पूरी की. उनकी इंटर्नशिप पेड थी. वो कहती हैं, "इंटर्न्स को उनके काम के लिए भुगतान किया जाना चाहिए. भले ही वह कंपनी के परमानेंट वर्कर नहीं हैं , लेकिन वो कंपनी के लिए योगदान दे रहे हैं. वह कंपनी के वर्कफोर्स का हिस्सा हैं और कंपनी मुनाफा कमा रही है. अगर इंटर्न कंपनी को प्रॉफिट में मदद कर रहे हैं, तो उन्हें इसके लिए पैसे भी मिलने ही चाहिए. अगर ऐसा नहीं हो रहा है, तो यह जाहिर तौर पर शोषण हैं."

स्टेसी आगे कहती हैं, "भले ही पूरी सैलरी ना दी जाए, लेकिन कम से कम इतना दिया जाए कि वह अपना गुजारा कर सके. गरीब तबके से आने वाले छात्रों के लिए ऐसी इंटर्नशिप एक आर्थिक बोझ बन जाती है. ऐसे में, काम से ट्रांसपोर्टेशन और लंच तक के पैसे तो दिए ही जाने चाहिए."

मानसिक तनाव से गुज़र रहे हैं युवा

करन ने कोई अनपेड इंटर्नशिप नहीं की है. मगर उनके कुछ दोस्तों को यह करना पड़ा. वर्तमान में, दुनिया में महंगाई और आर्थिक मंदी से जूझ रही है. मार्किट में जॉब नहीं है. किसी भी देश में रहना खाना भी महंगा है. मगर बेल्जियम और नीदरलैंड्स जैसे देशों में इंटर्न को ज्यादातर सैलरी नहीं दी जाती है.

रमीशा ने 6 साल काम किया और उसके बाद वह 29 साल की उम्र में दोबारा पढ़ने यूरोप आईं. वो फिलहाल दो जगह अनपेड इंटर्नशिप कर रही है. उनका कहना है, "इतने एक्सपीरियंस के बाद भी दोबारा इंटर्नशिप के लिए भी काफी स्ट्रगल करना पड़ रहा है. उन्हें यूरोप में नौकरी पाने के लिए सब कुछ शुरू से करना पड़ रहा है."

रमीशा ने बताया कि पाकिस्तान में इंटर्नशिप को लेकर काफी शोषण है. वहां 80 प्रतिशत युवाओं और छात्रों को सैलरी नहीं ही दी जाती है. संस्थान इसे पैसे की बर्बादी समझते हैं. इसके चलते, स्टूडेंट्स और युवाओं पर मानसिक प्रेशर आता है और कई बार ये उनके लिए बोझ भी बन जाता है.

विक्टवा कहती हैं, उनके देश में इंटर्न को केवल तभी भुगतान करना होगा, अगर वे 2 महीने से अधिक काम करते हैं. इस स्थिति में कुछ कंपनियां आपको केवल 1 महीने और 30/29 दिनों के लिए काम पर रखेंगी ताकि उन्हें इंटर्न को भुगतान ना करना पड़े. 2 महीने बाद से उन्हें आपको कम से कम 4,05€ प्रति घंटा या 630€ प्रति माह (बिना टैक्स काटे) का भुगतान करना होगा.

उन्होंने आगे बताया, फ़्रांस में 35 घंटों के लिए न्यूनतम वेतन 1,747€ (before taxes ) है. इसके अलावा, आपको यह जानना होगा कि इंटर्नशिप लगभग केवल छात्रों के लिए है क्योंकि आपको कंपनी के साथ इंटर्नशिप कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने के लिए एक स्कूल/यूनिवर्सिटी की ज़रूरत होती है. एकमात्र अपवाद यह है कि यदि आप बेरोजगार हैं या कोई अन्य विशेष स्थिति है और उन मामलों में भी आप केवल 2 सप्ताह या 1 महीना ही काम कर सकते हैं.


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