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एमबीबीएस पात्रता के लिए अदालत के आदेश को लागू किया जाए

एमबीबीएस में दाखिले के लिए पात्रता संबंधी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के जुलाई 2014 में जारी आदेश को तुरंत लागू किया जाए

एमबीबीएस पात्रता के लिए अदालत के आदेश को लागू किया जाए
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जालंधर । राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में सफल विद्यार्थियों के परिजनों ने पंजाब सरकार से मांग की है कि एमबीबीएस में दाखिले के लिए पात्रता संबंधी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के जुलाई 2014 में जारी आदेश को तुरंत लागू किया जाए।

स्थानीय प्रेस क्लब में गुरुवार को एमबीबीएस अभ्यर्थियों के परिजनों ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि दो जुलाई 2014 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया था कि पंजाब में एमबीबीएस में प्रवेश के लिए छात्रों को दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं की परीक्षाएं राज्य के स्कूलों से ही उत्तीरण करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भी वहां के काॅलेज में प्रवेश लेने के लिए यह शर्तें लागू है लेकिन राज्य सरकार इस शर्त को लागू नहीं करके राज्य के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।

परिजनों ने आरोप लगाया कि साल 2014 में उच्च न्यायालय के आदेश को पंजाब सरकार ने मान लिया था लेकिन हरियाणा के विद्यार्थियों के विरोध पर न्यायालय ने इस आदेश को रद्द कर दिया था। न्यायालय ने 2016 में एक बार फिर से इस आदेश को लागू करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिया था। पंजाब सरकार ने आदेश को लागू करने के लिए तीन साल का समय मांगा था। उन्होंने आरोप लगाया कि पांच जून 2019 को नीट का परिणाम घोषित होने के पश्चात छह जून 2019 को सरकार ने नया अध्यादेश जारी कर पंजाब राज्य से दसवीं उत्तीर्ण करने की शर्त को हटा दिया।

एमबीबीएस उम्मीदवारों के परिजनों ने सरकार से मांग की है कि छह जून 2019 की अधिसूचना को रद्द कर पंजाब के छात्रों से इंसाफ किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे तथा जरूरत पड़ी तो धरना प्रदर्शन भी करेंगे।

उल्लेखनीय है कि माइक्रो रिर्जवेशन के मुद्दे को लेकर पंजाब में एमबीबीएस की काउंसलिंग पहले ही दो बार स्थगित हो चुकी है जिसके कारण एमबीबीएस उम्मीदवार मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं।


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