आवेदन आए नहीं छोड़ दिए करोड़ों के ठेके
अडिशनल हाउसिंग कमिश्नर महेंद्र प्रसाद ने इस मामले में शिकायत मिलने की बात तो स्वीकार की, लेकिन कुछ नहीं कहा।

गाजियाबाद। इसके बावजूद योजना में निर्माण अब भी जारी है। अडिशनल हाउसिंग कमिश्नर महेंद्र प्रसाद ने इस मामले में शिकायत मिलने की बात तो स्वीकार की, लेकिन कुछ नहीं कहा। 16 मंजिला इस योजना में 1856 टू और थ्री बीएचके फ्लैट बनाए जाने का नामंकन खोला गया था। फ्लैटों की कीमत 35 से 45 लाख रुपए के बीच रखी गई थी। नामंकन खुलने के बाद करीब 22 आवेदन आए थे, लेकिन बाद में आधे से ज्यादा आवेदन वापस ले लिए गए। इसके बावजूद परिषद ने निर्माण के लिए 556 करोड़ रुपए के ठेके छोड़ दिए। साउथ की एक नामी कंस्ट्रक्शन कंपनी को ठेका देकर करीब 200 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए गए।
डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय अग्रिहोत्री ने बताया परिषद के ज्वाइंट कमिशनर को पत्र लिखकर इस गड़बड़ी के विषय में अवगत कराया गया है। उन्होंने जांच का आश्वासन देकर कार्रवाई की बात कही है। सूत्रों के मुताबिक योजना के निर्माण के दौरान 22 दिसम्बर 2016 को परिषद के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर अरुण कुमार ने मुख्य अभियंता को एक पत्र लिखा था। इसमें लिखा था कि योजना में आवेदन न के बराबर हैं। रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी है। ऐसे में इन फ्लैटों का निर्माण करवाने पर परिषद को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
अधिकारियों ने बताया कि सेल्फ फाइनेंसिंग स्कीम में नियम होता है कि जितने आवेदन आते हैं, उनके अनुसार ही फ्लैटों का निर्माण किया जाता है। आवेदकों से मिली राशि से ही परिषद निर्माण करवाता है। मगर मंडोला की बहुमंजिला योजना में सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। सूत्रों का कहना है कि सीनियर अफसरों ने निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ठेका प्रक्रिया जल्दी शुरू कर दी गई। इसमें कुछ इंजीनियर्स को भी फायदा पहुंचा। इसमें परिषद को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान माना जा रहा है।


