उपराज्यपाल से अपील, दिल्ली में लागू किया जाए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017
केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम,2017 को शीघ्रातिशीघ्र दिल्ली विधानसभा में पारित कर, राज्य स्तर पर इसे अधिसूचित करने के लिए एक बार फिर प्रयास तेज हो गए हैं

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम,2017 को शीघ्रातिशीघ्र दिल्ली विधानसभा में पारित कर, राज्य स्तर पर इसे अधिसूचित करने के लिए एक बार फिर प्रयास तेज हो गए हैं। चूंकि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अभी तक इस बिल को विधानसभा में पारित कर अधिसूचित करने की प्रक्रिया प्रारम्भ भी नहीं की है। इसलिए दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि इससे दिल्ली में रहने वाले 25 लाख से अधिक मानसिक चुनौतियों से ग्रसित लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि यह बिल मानसिक चुनौतियों से ग्रस्त लोगों को मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल तथा सेवाएं मुहैया कराने की गारन्टी देता है। अधिनियम यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी मानसिक रोगी के साथ किसी भी प्रकार की ज्यादती अथवा भेदभाव न हो और उसके अधिकारों का हनन न हो। इस अधिनियम के अन्तर्गत उन्हें सम्पत्ति में भी देयभाग मिलेगा। यह अधिनियम उन्हें प्रतिष्ठा के साथ जीने का अधिकार सुनिश्चित करता है। इसके अतिरिक्त यह बिल आत्महत्या को भी अपराध मुक्त करता है। इस बिल में माना गया है कि आत्महत्या का कदम तनावग्रस्त मानसिक अवस्था में उठाया जाता है और इसके लिए व्यक्ति विशेष को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में कुल जनसंख्या में से 11.23 लोग मानसिक चुनौतियों से ग्रस्त हैं। यदि दिल्ली की जनसंख्या को 2.25 करोड़ माना जाए तो दिल्ली में लगभग 25 लाख मानसिक चुनौती से ग्रस्त व्यक्ति हैं। इस समय उनके लिए कोई अलग देखभाल गृह नहीं उपलब्ध हैं। केवल कुछ शैल्टर हैं, जिनकी हालत बहुत खराब है। उनके साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें देखभाल के अच्छे अवसर नहीं मिलते हैं। इस अधिनियम को जल्द से जल्द दिल्ली विधानसभा में पास करना आवश्यक है, क्योंकि इस अधिनियम के प्रावधानों से मानसिक रोग से ग्रस्त रोगियों की बेहतर देखभाल हो सकेगी और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकेगा। यह अधिनियम सुनिश्चित करेगा कि दिल्ली के प्रत्येक नागरिक को सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तथा इसके उपचार की सुविधाएं सरकार से मिलें। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले मानसिक रोगियों के लिए मुफ्त उपचार सनिश्चित करता है।


