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अनुपम खेर ने गीता से लिया हुआ लता मंगेशकर का अंतिम संदेश साझा किया

लताजी के अनन्य प्रशंसक अनुपम खेर ने आजादी का अमृत महोत्सव, भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उत्सव की देखरेख करने वाली समिति की दूसरी बैठक में जूम के माध्यम से दिए गए अपने संदेश की एक रिकॉर्डिग साझा की। यह मुलाकात पिछले साल 22 दिसंबर को हुई थी

अनुपम खेर ने गीता से लिया हुआ लता मंगेशकर का अंतिम संदेश साझा किया
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नई दिल्ली। लताजी के अनन्य प्रशंसक अनुपम खेर ने आजादी का अमृत महोत्सव, भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उत्सव की देखरेख करने वाली समिति की दूसरी बैठक में जूम के माध्यम से दिए गए अपने संदेश की एक रिकॉर्डिग साझा की। यह मुलाकात पिछले साल 22 दिसंबर को हुई थी। पिछले 75 वर्षों में भारत का नेतृत्व करने वाले नेताओं के योगदान की सराहना करते हुए और नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए लता मंगेशकर ने 'भगवद् गीता' की अमर पंक्तियों का पाठ किया था :

"यदा याद हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत/ अभ्युत्थानं अधर्मस्य तदात्मानम् सृजाम्यहं।" (जब भी धर्म-अर्थात नैतिक जीवन का भवन खतरे में होता है, मैं मानव जाति की भलाई के लिए पृथ्वी पर पुनर्जन्म लेता हूं)।

"परित्राणाय साधुनाम् विनाशायच दुष्कृतां/धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे।" (अच्छे की रक्षा और बुराई के विनाश के लिए धर्म की स्थापना के लिए मैं एक युग से दूसरे युग में पुनर्जन्म लेता हूं।)

इन पंक्तियों को अपनी सुरीली मधुर आवाज में सुनाते हुए लताजी ने अपने संदेश को इस घोषणा के साथ समाप्त किया था कि भगवान हमेशा हमारे साथ खड़े हैं और हमेशा हमारे साथ रहेंगे, क्योंकि भारत ताकत से अधिक ताकत की ओर जा रहा है।


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