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पवार परिवार से एक और सदस्य चुनाव मैदान में

महाराष्ट्र के कद्दावर पवार परिवार का एक और सदस्य 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में अपना चुनावी आगाज करने के लिए तैयार

पवार परिवार से एक और सदस्य चुनाव मैदान में
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अहमदनगर (महाराष्ट्र)। महाराष्ट्र के कद्दावर पवार परिवार का एक और सदस्य 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में अपना चुनावी आगाज करने के लिए तैयार है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार केभाई के पोते रोहित पवार अहमदनगर की हाई-प्रोफाइल कर्जत-जामखेड सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

34 साल के आक्रामक, मृदुभाषी रोहित, मुंबई विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेंट में स्नातक हैं और इस बार चुनावी राजनीति में कदम रखने और अपनी छाप छोड़ने के लिए पवार परिवार से पांचवें सदस्य बन गए हैं।

राजनीति में 55 साल के करियर में 78 वर्षीय पवार तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और बतौर केंद्रीय मंत्री भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। बारामाती से चार बार सांसद रहीं उनकी बेटी 50 वर्षीय सुप्रिया सुले राज्यसभा सदस्य भी रही हैं और सुप्रिया के चचेरे भाई अजीत पवार (60) राज्य के दो बार उपमुख्यमंत्री रहे हैं।

अजित पवार, पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के पुत्र हैं और हाल ही में तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपने चाचा (शरद पवार) को नामजद किए जाने के बाद बारामती से विधायक के रूप में अचानक इस्तीफा दे दिया।

अजीत पवार ने मावल सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में 29 साल के अपने बेटे पार्थ पवार को लॉन्च किया था, लेकिन हार के साथ उन्होंने पवार परिवार की 'जीतने वाली छवि' को दागदार कर दिया।

अब राजनीतिक आगाज करने जा रहे रोहित पवार राजेंद्र पवार के बेटे हैं। राजेंद्र, शरद पवार के भाई, अप्पासाहेब पवार के पुत्र हैं। रोहित पुणे जिला परिषद के सदस्य होने के अलावा प्रभावशाली भारतीय चीनी मिल संघ के अध्यक्ष भी हैं।

जैसा कि पिछले सप्ताह उनका चुनाव प्रचार चल रहा था, रोहित ने अपने चाचा अजीत पवार की प्रचार करते समय की तस्वीरों को पोस्ट किया और कैप्शन में लिखा कि राकांपा के गढ़ में 'जबरदस्त प्रतिक्रिया' मिली।

संयोग से, रोहित ने 2019 लोकसभा चुनाव में अपने चचेरे भाई पार्थ पवार के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था, लेकिन मोदी-लहर के बीच पार्थ को हार का मुंह देखना पड़ा।

इस बार यह चुनौती रोहित के लिए भी उतनी ही कठिन है, क्योंकि भाजपा ने खुले तौर पर 2024 तक राज्य की राजनीति से पवार परिवार के प्रभाव को 'खत्म' करने का संकल्प लिया है।


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