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फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा चुनावी स्टंट : किसान सभा

उत्तर प्रदेश किसान सभा ने मोदी सरकार की खरीफ फसलों के डेढ़ गुना समर्थन मूल्य की घोषणा को झूठा और चुनावी स्टंट करार दिया है

फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा चुनावी स्टंट : किसान सभा
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश किसान सभा ने मोदी सरकार की खरीफ फसलों के डेढ़ गुना समर्थन मूल्य की घोषणा को झूठा और चुनावी स्टंट करार दिया है। संगठन ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार गणना न कर लागत खर्च कम दिखाकर आंकड़ों की बाजीगारी की गई है। यह किसानों के साथ बड़ा धोखा है।

किसान सभा ने इसकी आलोचना करते हुए केंद्र सरकार से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार लागत का डेढ़ गुना दाम करने की मांग की है।

किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह और महामंत्री मुकुट सिंह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि स्वामीनाथन आयोग के अनुसार सामान्य धान का 2340 रुपये कुंतल बनता है, जबकि घोषणा 1750 रुपये कुंतल की गई जो 590 रुपये कुंतल कम है। इसी तरह बाजरा में 844 रुपये कुंतल कम, मक्का में 520 रुपये कम, अरहर का 5675 रुपये कुंतल घोषित किया गया है जो 1796 रुपये कुंतल कम है।

उन्होंने कहा कि मोजाम्बिक के किसानों से 7472 रुपये कुंतल में खरीदकर उन्हें समर्थन मूल्य दिया जा रहा है, जब मोजाम्बिक में ऐसा हो रहा है तो भारत के किसानों को क्यों नहीं।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र ने समर्थन मूल्य के लिए राज्य सरकारों के सुझावों को ठुकरा दिया गया है। जबकि केरल में वामपंथी सरकार सामान्य धान 2350 रुपये प्रति कुंतल की दर से किसानों से खरीद रही है।

किसान सभा ने कहा कि सरकारी खरीद योजना आमतौर पर सिर्फ गेहूं और धान के लिए ही है, अन्य फसलों की खरीद के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। 20 फीसदी से भी कम ही किसानों से खरीदा जाता है, किसानों को बाजार में सस्ते में अनाज बेचने को मजबूर होना पड़ता है। धान की तो 5 फीसदी से ज्यादा खरीद सरकारी एजेंसियों पर उ.प्र. में नही होती है, वहां भी बिचौलियों का बोलबाला है। हालिया गेहूं खरीद इसका उदाहरण है।

सभा ने कहा कि योगी सरकार द्वारा बीच में ही खरीद बंद करा दी गई, 70 फीसदी से ज्यादा किसान वंचित रह गया, उसे 250-300 रुपये कुंतल कम भाव पर बाजार में गेहूं बेचना पड़ रहा है।

किसान सभा ने कहा कि बढ़ती लागत को रोकने के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए, वादे के मुताबिक किसानों के कर्ज माफ नहीं किए, जिससे किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि हुई है।

किसान सभा ने कहा कि कृषि संकट गहराता जा रहा है, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार हैं। किसान सभा ने मांग की है कि स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट पूरी तरह से लागू किया जाए।


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