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गांव बांसवा में पशु अस्पताल बना ग्रामीणों के लिए आरामगाह

गांव बांसवा में पशुओं के लिए बनाया गया पशु अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है

गांव बांसवा में पशु अस्पताल बना ग्रामीणों के लिए आरामगाह
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होडल। गांव बांसवा में पशुओं के लिए बनाया गया पशु अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। वर्षों पुराने इस पशु अस्पताल की जर्जर हालात होने के कारण अब यहां चिकित्सक भी बैठने से कतराने लगे हैं। अगर किसी पशु के बीमार होने पर इस अस्पताल में ले जाया जाता है तो यहां उपचार के नाम पर सब कुछ शून्य मिलता है। जिसके कारण पशुओं के बीमार होने पर ग्रामीणों को दूसरे अस्पतालों में पशु दिखने को मजबूर होना पड़ रहा है।

अस्पताल की इमारत जर्जर होने के साथ साथ यहां पशु चिकित्सकों की भी कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण पशु पालक किसान बीमार पशुओं को किराए के वाहनों के माध्यम से अन्य अस्पतालों में उपचार कराने को मजबूर होते हैं। रखरखाव के अभाव के कारण वर्षों पहले बने इस अस्पताल की हालात अब यह हो चली है कि यहां ग्रामीणों ने अपने पशु बांधने शुरू कर दिए हैं। इस अस्पताल में एक ओर ग्रामीणों के पशु बंधे रहते हैं तो पेड़ों के नीचे ग्रामीणों की आरामगाह बनी हुई है।

विभागीय रिकार्ड के अनुसार होडल खंड के गांव सौनदह, बंचारी, बामनीखेड़ा, दीघोट, भिडूकी, खिरबी, बिलोचपुर, बड़ौली, सीहा, गुलावद सहित 13 पशु स्वास्थ केन्द्र हंै। इनके अलावा गांव खिरबी और बांसवा के पशुओं के उपचार के लिए बांसवा ग्राम पंचायत की जगह में बनाए गए अस्थाई अस्पताल में उपचार की व्यवस्था की हुई है लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि उक्त स्थान पर कभी कोई पशु चिकित्सक पहुंचते ही नहीं हैं जिसके कारण बीमार पशुओं को दिखाने के लिए दूसरे अस्पतालों में भटकना पडता है। उप मंडल के पशु अस्पतालों में पहले से ही चिकित्सकों की कमी बनी हुई है।

चिकित्सकों के अभाव के कारण एक एक चिकित्सक कई कई सैंटरों की जिम्मेदारी संभाल रहा है। जिसके कारण बीमार पशुओं को समय पर उपचार मिल पा रहा है। ग्रामीण इस मामले को गांव खिरबी में तत्कालीन जिला उपायुक्त द्वारा लगाए गए खुले दरबार के अलावा हसनपुर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आगमन पर उन्हें अवगत करा चुके हैं लेकिन समस्या अभी तक ज्यों कि त्यों बनी हुई है।
क्या कहते हैं ग्रामीण: गांव में वर्षों पहले बने इस पशु अस्पताल की जर्जर हालात को देखते हुए कोई भी चिकित्सक इमारत में बैठने को तैयार नहीं है। बीमार पशुओं को दूसरे अस्पतालों में उपचार कराने को मजबूर हैं।

क्षेत्र के पशु अस्पतालों में चिकित्सकों का अभाव बना हुआ है। अस्पताल की जर्जर हालात के मामले से विभागीय उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है। गांव बांसवा, खिरबी में पशुओं की देखरेख के लिए एक चिकित्सक को तैनात किया गया है जो सप्ताह में दो दिन बीमार पशुओं के स्वास्थ की जांच करेगा।


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