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जेवर कांड का वांछित 12 हजारी अनिल बावरिया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने जेवर कांड में शामिल बावरिया गिरोह के सक्रिय सदस्य और 12,000 के इनामी अपराधी अनिल बावरिया को जनपद के थाना पिलुखवा क्षेत्र से गिरफ्तार किया है

जेवर कांड का वांछित 12 हजारी अनिल बावरिया गिरफ्तार
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हापुड़। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने जेवर कांड में शामिल बावरिया गिरोह के सक्रिय सदस्य और 12,000 के इनामी अपराधी अनिल बावरिया को जनपद के थाना पिलुखवा क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। जिसके पास से इनोवा कार, एक तमंचा 12 बोर और कारतूस बरामद किया है। इस पर डकैती, डकैती के साथ हत्या और ऐक्सल फेंक कर हाइवे पर लूट जैसे कई संगीन मुकदमे उत्तरप्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में दर्ज हैं।
एसटीएफ नोएडा के पुलिस उपाधीक्षक राजकुमार मिश्रा ने बताया कि एसटीएफ निरीक्षक राकेश कुमार पालीवाल की टीम को मुखबिर से शनिवार शाम सूचना मिली कि कुख्यात अनिल बावरिया मूल निवासी थाना कोतवाली भरतपुर राजस्थान अपनी इनोवा गाडी से मुरादाबाद की ओर से कस्बा पिलखुआ जनपद हापुड की ओर आ रहा है।

इस सूचना पर टीम ने कस्बा पिलखुआ में डोरी पेट्रोल पम्प के सामने पहुंचकर घेराबंदी कर अपराधी अनिल बावरिया को गिरफ्तार कर लिया गया।

पूछताछ में पता चला कि वर्ष 2000 में आरोपी ने अपने गिरोह के साथ मुरादाबाद में एक डॉक्टर और सर्राफ के घर में करोड़ों की डकैती डाली और डॉक्टर को गोली मारकर घायल कर दिया था। इस घटना का अनावरण अब तक नहीं हो पाया था।

वर्ष 2003 में इसने थाना मझोला मुरादाबाद क्षेत्र में हाइवे पर कार में 2 व्यापारी की हत्या कर करोड़ों की लूटपाट की। वहीं वर्ष 2004 में थाना मोगर्रा, मथुरा क्षेत्र में हाइवे पर 5 गाड़ियों ( 2 बस , 1 ट्रक और 3 कार) में लूट पाट की और 2 व्यक्तियों को गोली मार दी जिसमें से एक की मौत हो गई। पुलिस का दबाव बढ़ने पर अनिल बावरिया राजस्थान भाग गया। वहां उसने भरतपुर, पुष्कर और अलवर में कई घटनाओं को अंजाम दिया।

डीएसपी ने बताया कि बीती मई को थाना जेवर क्षेत्र के सिकंदरबाद रोड पर कार टायर पंक्च र कर सवार महिलाओं से अभद्रता और एक युवक की हत्या व लूटपाट में आरोपी शामिल था। इस मामले में वांछित पर आईजी, मेरठ ने अभियुक्त अनिल की गिरफ्तारी पर 12,000 रुपए का पुरस्कार घोषित किया गया था। वहीं एडीजी मेरठ जोन और डीजीपी यूपी को अपराधी पर 50,000 रुपये का पुरस्कार घोषित किए की संस्तुति की गई थी। अभियुक्त अनिल बावरिया ने पूछताछ पर बताया कि वह पकड़े जाने के डर से गाड़ी की नंबर प्लेट को बदल लेता था।


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