आंगनबाड़ी कर्मियों ने सरकार की सद्बुद्धि के लिए किया हवन
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं के द्वारा की जा रही हड़ताल अब भी जारी है

कोरबा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं के द्वारा की जा रही हड़ताल अब भी जारी है। सरकार की सद्बुद्धि के लिए आज हजारों कर्मियों ने हवन-पूजन किया। पिछले 24 दिनों से चल रही हड़ताल को हालांकि विभागीय अधिकारियों द्वारा बर्खास्तगी की चेतावनी से कमजोर करने की कोशिश की गई, बावजूद इसके हजारों कर्मियों का मनोबल कमजोर नहीं कर पाये हैं। चरमराई व्यवस्था को पटरी पर लाने अधिकारी मशक्कत कर रहे हैं।
आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने, कार्यकर्ताओं का मानदेय 18 हजार व सहायिकाओं को 9 हजार वेतन देने सहित 10 सूत्रिय मांगों को लेकर कटघोरा ब्लॉक से शुरू हुआ आंदोलन जिले भर में फैला। ग्रामीण व शहरी परियोजना के कर्मियों ने जिला मुख्यालय तक आकर एवं महारैली निकालकर अपनी ताकत का एहसास कराया।
आज कटघोरा में कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने एकजुट होकर अपनी जायज मांगों को पूरा करने हेतु सरकार को सद्बुद्धि देने की कामना कर हवन-पूजन किया। करीब 2 हजार की संख्या में एकत्र कर्मियों ने हवन कुंड में आहुति डाली। सभी ने आंदोलन को फिलहाल जारी रखने का निर्णय लिया है।
एक ओर जहां इनकी हड़ताल जारी है वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों के द्वारा हड़ताल के कारण चरमराई व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मशक्कत की जा रही है। पहले रेडी टू ईट निर्माणकर्ता व मर्ग भोजन पकाने वाले समूहों तथा किशोरी बालिकाओं के जरिए व्यवस्था को संभालने की कोशिश की गई किन्तु अधिकांश समूह के सदस्यों द्वारा हाथ खड़े कर दिए गए। विभाग ने कई केन्द्रों की चाबी प्राप्त कर तो कुछ केन्द्रों का ताला तोड़ कर रेडी टू ईट बंटवाने का प्रबंध माह के प्रथम मंगलवार को जरूर किया लेकिन पूर्ण रूप से सफल नहीं हुए। इसी तरह बच्चों व गर्भवती माताओं को भी गर्म भोजन से वंचित होना पड़ा।
उच्च स्तर पर मिल रही फटकार और निर्देश के बाद स्थानीय अधिकारियों ने सेक्टर सुपरवाईजरों के जरिए 24 घंटे के भीतर काम पर नहीं लौटने पर बर्खास्तगी की चेतावनी भरा नोटिस 8 दिसंबर तक जारी कराया और केन्द्रों में भी चस्पा किया। अधिकारियों की फूट डालने की रणनीति आंशिक रूप से काम कर गई और शहरी परियोजना के कुछ कार्यकर्ताओं ने हड़ताल से वापसी की। इनकी देखा देखी कुछ और कार्यकर्ता-सहायिका काम पर लौटीं लेकिन अब भी बहुतायत आंगनबाड़ी कर्मी अपने आंदोलन पर डटे हुए हैं। इन्होंने दोहराया है कि जब तक शीर्ष नेतृत्व और सरकार के बीच कुछ सकारात्मक तय नहीं हो जाता, वे हड़ताल पर बने रहेेंगे।
सहानुभूति छोड़ दिखाते रहे सख्ती
23 दिनों के इस आंदोलन में यह बात गौर करने वाली रही कि विभागीय अधिकारियों द्वारा कभी भी कर्मियों के बीच पहुंचकर उनसे सद्भावना पूर्वक चर्चा नहीं की गई और न ही मांगों के संबंध में अपने स्तर पर कारगर पहल करने का आश्वासन दिया। शुरू से सोशल मीडिया पर ही सुपरवाईजरों के जरिए काम पर लौटने, हड़ताल खत्म करने, कार्रवाई की चेतावनी जैसे निर्देश प्रेषित कराये जाते रहे। कर्मियों में भी इस बात का आक्रोश देखा गया कि वे अपने आंगनबाड़ी केन्द्र के काम-काज के अतिरिक्त सुपरवाईजरों की मदद के लिए कार्यालय में जाकर भी दस्तावेजी काम करती हैं, उनके कहने पर बिना विरोध किए कार्यालय में मासिक रिपोर्ट का डाटा एंट्री करने वाले आपरेटर के लिए प्रतिमाह 30 रुपए का भी भुगतान करती हैं।
जब कभी भी सुपरवाईजर फोन करती है तो तत्काल उनकी मदद बिना समय देखे की जाती है फिर भी किसी तरह की सहानुभूति उन्होंने भी नहीं दिखाई बल्कि अधिकारियों की नजर में अच्छा बनने के लिए कार्यकर्ताओं में फूट डालने का काम किया। इस बात पर भी आक्रोश है जब हड़ताल अवधि का मानदेय काटने और समूहों से व्यवस्था संभालने की बात कही जा रही है तो आखिर इस सख्ती का क्या औचित्य?


