आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं
नौनिहालों को खेल-खेल में औपचारिक शिक्षा देने से लेकर इनके सेहत का ख्याल रखने वाले आंगनबाड़ी कर्मी सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी के लिए भी तरस गए हैं

सामाजिक सुरक्षा का भी लाभ नहीं, धरना देकर कराया स्मरण
कोरबा। नौनिहालों को खेल-खेल में औपचारिक शिक्षा देने से लेकर इनके सेहत का ख्याल रखने वाले आंगनबाड़ी कर्मी सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी के लिए भी तरस गए हैं। न्यूनतम से भी काफी कम दर पर काम करने वाले इन कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा का भी लाभ नहीं मिल रहा जिससे कि वे अपने आश्रितों, बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर सकें।
इस तरह का आक्रोश घंटाघर चौक पर आंदोलनरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं में देखने को मिला। दरअसल बीते नवंबर-दिसंबर माह में अपनी विभिन्न 13 सूत्रिय मांगों को लेकर 27 दिन की हड़ताल आंगनबाड़ी कर्मियों ने नेतृत्वकर्ता बीएमएस के प्रतिनिधि मंडल द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह चर्चा उपरांत मिले सकारात्मक आश्वासन पर स्थगित की थी। 13 दिसंबर को यह हड़ताल स्थगित करने के बाद मांगों के संबंध में शासन के रुख का इंतजार किया जा रहा था। लंबे समय के बाद भी कोई पहल न होते देख बीएमएस के नेतृत्व में आज पुन: आंगनबाड़ी कर्मियों ने धरना प्रदर्शन कर मांगों के संंबंध में शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया। मौके पर उपस्थित भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष शमीम खान, जिला मंत्री दिलीप कुमार यादव ने बताया कि आंगनबाड़ी कर्मियों को शासकीय कर्मचारी घोषित करने सहित इनका वेतन कम से कम 18 हजार करने की मांग की गई है।
इसे दुर्भाग्यजनक बताया कि जब न्यूनतम मजदूरी 350 रुपए तय कर दी गई है, तब इसका लाभ इन्हें क्यों नहीं मिल रहा है? शमीम खान ने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मियों को कुशल मजदूरों की श्रेणी में रखकर न्यूनतम मजदूरी का लाभ दिया जाए, इनके बच्चों व परिजनों का भविष्य सुरक्षित करने सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलना चाहिए। अन्य स्थानीय समस्याओं पर भी प्रशासन को गौर करना होगा। शमीम खान ने उपस्थित कार्यकर्ताओं के हवाले से बताया कि उनसे तरह-तरह के कार्यों के लिए रुपयों की मांग की जाती है। एमपीआर इंट्री करने के एवज में ऑपरेटर को देने के लिए 30-30 रुपए मांगने की बात सामने आयी है।
इसी तरह हितग्राहियों का आधार सीडिंग के लिए भी ऑपरेटर को देने कार्यकर्ताओं से 30-30 रुपए मांगे गए हैं। महतारी जतन योजना का 1 साल से भी अधिक समय से बिल भुगतान समूहों को नहीं किया गया है, कार्यकर्ता व सहायिकाओं का 3-3 माह से मानदेय लटकाकर रखा गया है। दूसरे कई तरीकों से भी कार्यकर्ताओं का मानसिक और आर्थिक शोषण किये जाने की जानकारी हुई है जिसके संबंध में विभागीय अधिकारी से बैठक चर्चा की जाएगी। धरना प्रदर्शन उपरांत मांगों का स्मरण पत्र जिलाधीश सहित विभागीय अधिकारी को बीएमएस के प्रतिनिधि मंडल द्वारा सौंपा गया।


