आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सरकारी घोषणा को धोखा बताया
प्रगतिशील आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ ने रमन सिंह सरकार द्वारा पेश किये ये वार्षिक बजट में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने मानदेय में 1000 रूपये सहायिका को 500 रूपयें

रायपुर। प्रगतिशील आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ ने रमन सिंह सरकार द्वारा पेश किये ये वार्षिक बजट में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने मानदेय में 1000 रूपये सहायिका को 500 रूपयें एवं मिनी आंगनबाडियों में 750 रूपयें की वृद्धि करने की घोषणा को प्रदेश की हजारों आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के साथ धोखा बताया है प्रगतिशील ऑगनबाड़ी एवं सहायिका संघ की मुखिया हेमा भारती ने कहा कि, प्रगतिशील आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका संयुक्त संघर्ष समिति लगतार यह मांग करते रहे कि उन्हें सामन काम का समान वेतन तथा कम से कम जीने लायक वेतन दिया जाए।
लेकिन भाजपा कि रमन सरकार ने हमेशा आश्वासन देकर कहा कि तत्काल समस्य का हल निकालेगें। और इसकी आड में उन्होने आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिकों के उपर काम का बोझ बढ़ा दिया। इस बजट में सारी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए रमन सरकार ने ऑगनबाडी कार्यकर्ता को 1000 रूपयें एवं सहायिका को 500 रूपये दिया है जो कि इस महंगाई के दौर मेंं नाकामी है। यह घोषणा आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिको को बिलकुल मान्य नहीं है।
इस संंदर्भ में आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक 15 फरवरी को रखी गई है। जिसमें आगे की रणनीति तय करके आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं सरकार के खिलाफ संघर्ष को तेजी करेगी। प्रगतिशील आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ ने रमन सिंह सरकार के मेहनतकश जनता के खिलाफ इस धोखें की बजट की ङ्क्षनदा करती है।
इधर छग के मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री डॉ रमन सिंह द्वारा पेश किया बजट चुनाव को ध्यान में रखकर जनता को लुभाने का प्रयास है। लेकिन मेहनतकश जनता को इस बजट से कोई फायदा नहीं होगा। भाकपा (मा-ले) रेड स्टार के राज्य सचिव कॉमरेड सौरा यादव ने इस बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा गया कि रमन सरकार यह बजट मेहनतकश जनता को धोखा देने वा ला है। ऐसे समय में महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही और उस पर सरकार कोई लगाम नहीं लगा रही है। तब ऐसा लोक लुभावना बजट पेश करके सरकार ने अपनी नाकामयाबी को ढंकने की कोशिश की है। यह बजट के केवल वादों का बजट है। वास्तव में युवाओं को रोजगार के अवसर देनेे की बात नहीं है, शिक्षा की गिरती गुणवत्ता का सुधारने की कोई बात नहीं है।
इससे आने वाला समय में बेराजगाी और बढ़ेगी। डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस की कीमतें, लगातार बढ़ रही है। प्रदेश के सफाई कर्मचारियों, मध्यान्ह भोजन, रसोईयाओं, कर्मचारियों, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजागर कृषि, की पूरी तरह से उपेक्षा की गई है। सरकार ने चुनाव से पहलें जो भी वादें किये थे, उन्हें पूरा करने में वह नाकाम नही है। और पांच साल बाद भी पूरा नहीं कर पाई है। केन्द्र की मोदी सरकार के बजट की नकल करते हुए रमन सिंह ने यह बजट राज्य के कार्पोरेट घरानों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, बड़े उद्योगपतियों, बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने का काम करेगा। दूसरी ओर ऑगनबाडी कार्यकर्ताएं लम्बे समय से अपने मानदेय बढाने की मांग कर रही थी। उनके काम में 4 से 6 घण्टे कर दिये गये और उसके एवज में मात्र 1000 रूपये व 500 रूपये दिया गया है। इसी प्रकार किसानों को समर्थन मूल्य व स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा को लागू करने एवं प्रभावित किसानों को तत्काल राहत देने के बजाय उनका मजाक उडाया है। शिक्षाकर्मियों को एक कमेटी बनाने के नाम पर शिक्षाकर्मियों को छलने का कार्य किया है। भाकपा (मा-ले) रेड स्टार ने केन्द्र सरकार व राज्य सरकारके बजट को मेहनतकश जनता विरोधी व कार्पोरेट परस्त बजट बताते हुए इसकी निंदा की।


