लॉकडाउन बताकर किया जाता तो देश में अराजकता फैल सकती थी : केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके और मौजूदा समय केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा का मानना है कि देश में लॉकडाउन का फैसला सफल साबित हुआ है।

नई दिल्ली | झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके और मौजूदा समय केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा का मानना है कि देश में लॉकडाउन का फैसला सफल साबित हुआ है। वह लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष के उठाए जाने वाले सवालों को खारिज करते हैं।
उनका कहना है कि आज भारत, दुनिया के विकसित देशों की तुलना में भी कहीं ज्यादा सफलता से अगर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है तो इसकी जड़ में लॉकडाउन की सफल रणनीति है। कभी सिर्फ 35 साल में ही झारखंड का मुख्यमंत्री बन जाने वाले अर्जुन मुंडा देश के सबसे प्रभावशाली आदिवासी नेताओं में गिने जाते हैं। मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री अर्जुन मुंडा ने गुरुवार को आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर लॉकडाउन बताकर किया जाता तो देश में अराजकता का माहौल हो सकता था। वहीं इससे संक्रमित लोगों के सभी जगह फैलने का खतरा होता।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कह चुकीं हैं कि केंद्र सरकार ने सुनियोजित तरीके से लॉकडाउन नहीं किया। वहीं राहुल गांधी इसे कोरोना को हराने का रास्ता नहीं मानते। इस सवाल पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा दुनिया के अन्य देशों का हवाला देते हैं।
उन्होंने कहा कि आज अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली और चीन जैसे बड़े देशो का बहुत ही बुरा हाल है, जहां की स्वास्थ्य सेवाएं विश्व की उच्चतम स्वास्थ्य सेवाओं में गिनीं जाती हैं, मगर फिर भी वहां हजारो-लाखों की संख्या में कोविड-19 के केस मिले और हजारो की तादाद में मृत्यु हुई है।
उन्होंने कहा, "जबकि हमारा देश अभी इन सभी व्यवस्थाओं में विकास की अवस्था में है। हमारे यहां स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी हैं मगर जनसंख्या अधिक होने के कारण सभी की एक साथ जांच कर इलाज नहीं दे सकते। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन का रास्ता चुना।"
लॉकडाउन को लेकर विपक्ष के सवालों पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, " लॉकडाउन का परिणाम सभी के सामने है। भारत में कोरोना के मरीजों के केस धीमी गति से बढे हैं। अगर इस लॉकडाउन को बताकर किया जाता तो देश में अराजकता का माहौल पैदा हो सकता था तथा पॉजिटिव कैरियर सभी जगह फैल सकते थे। जनता ने इस लॉकडाउन में प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन किया है।"
अर्जुन मुंडा ने कहा, "मैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी से कहना चाहता हूं कि यह समय राजनीति से दूर हटकर इस गंभीर महामारी के समाधान के प्रयास करने का है। जरूरतमंदों की सहायता करने का है। भारत के सभी राजनैतिक दलों को भारत सरकार के साथ इस वैश्विक संकट की घडी में साथ खड़े रहना चाहिए।"
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई का कितना असर हुआ है, इस सवाल पर अर्जन मुंडा ने कहा, "देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के खिलाफ संपूर्ण देशवासियों को साथ लेकर एक विशेष प्रकार की लड़ाई का आगाज कर रखा है। जिसमें सभी हिन्दुस्तानी तन, मन और धन के साथ इस लडाई में उनका साथ दे रहे है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो लॉकडाउन के कारण हम लोग कोरोना वायरस के संक्रमण चक्र को तोड़ने में सफलता प्राप्त कर रहे है। आज देश उस जगह पर है जहां हमारे आज के एक्शन तय करेंगे कि इस बड़ी वैश्विक आपदा के प्रभाव को हम कितना और कैसे कम कर सकते हैं।"
अर्जुन मुंडा ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार राहत कार्यों का संचालन कर रही है। वित्त मंत्रालय ने सभी कारोबारियों और कंपनियों के लिए पैकैज दिए है। प्रधानमंत्री लगातार देश के सभी मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों के साथ मंत्रणा कर सुझाव और निर्णय ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जरूरतमंदों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। गांव और वनवासियों के लिए मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी को बढ़ाकर और न्यूनतम मजूदरी के दिन की सीमा तय करके गरीबो के हित और जान की रक्षा की है। इस सराहनीय कदम से देश के लगभग 5 करोड़ मजदूरो को लाभ मिलेगा।
जनजातीय कार्य मंत्रालय किस तरह से कोरोना से निपटने में भूमिका निभा रहा है, यह पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, "वैसे इस वायरस का प्रभाव जनजातीय क्षेत्र में अधिक नही है, फिर भी हमारा जनजातीय कार्य मंत्रालय भी जनजातीय बंधुओ के हित के लिए सभी जरूरी कार्य कर रहा है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने कोविड-19 के चलते उžपन्न हुई परिस्थितयों के बीच लघु वन उत्पाद (एमएफपी) को संग्रह करने और उसकी खरीद परिचालन में तेजी लाने की पहल की है। लगभग सभी राज्यों ने लघु वन उत्पादों की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है और 10 राज्यों में इसका परिचालन शुरू हो गया है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अभी तक कुल 20.30 करोड़ रुपये की खरीद भी लगभग हो चुकी है। सभी राज्यों में लघु वन उत्पाद की खरीद की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन निगरानी डैशबोर्ड भी बनाया गया है। हर ग्राम पंचायत और वन धन केंद्र से या तो ईमेल या फोन के जरिए सूचनाओ का आदान प्रदान हो रहा है। हमारे मंत्रालय की संस्था ट्राइफेड ई-संपर्क सेतु के जरिए गांवों तक पहुंचने का लक्ष्य है।"
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जल्द ही हमारा मंत्रालय 10 लाख फेस मास्क, 10 लाख साबुन, 10 लाख हैण्ड ग्लव्स और लगभग 20 हजार कोविड टेस्ट के लिए पीपीई किट बांटने वाला है। कमजोर जनजातीय समूह और अन्य जनजातीय क्षेत्रो में आशा कार्यकतार्ओं की सहायता से सभी को सफाई और स्वच्छताए सोशल डिस्टेंसिंग का अपनाने के लिए जागरूक अभियान चलाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हमारा मंत्रालय अपनी योजनाओ में से हर साल 500-600 करोड़ रुपये का अनुदान राज्य सरकारों को देता है। इसके अलावा भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लगभग प्रतिवर्ष 3000 करोड़ रुपये आदिवासियों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उपलब्ध कराया जाता है।"


