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'नशा मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वाकांक्षी पहल'

महात्मा गांधी की जयंती, नशीली दवा और नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को समाप्त करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के सम्मान में, राष्ट्रीय नशा-निषेध दिवस के रूप में मनायी जाती है

नशा मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वाकांक्षी पहल
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नई दिल्ली। महात्मा गांधी की जयंती, नशीली दवा और नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को समाप्त करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के सम्मान में, राष्ट्रीय नशा-निषेध दिवस के रूप में मनायी जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बार-बार नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को उजागर करते हुए कहा है कि यह व्यक्ति को अपने जाल में फंसाकर उसके लिए दुष्चक्र बन जाती है। दुर्भाग्यवश, यह बीमारी बढ़ रही है जो "राष्ट्रीय नशीले पदार्थ प्रयोग की सीमा एवं पद्धत्ति पर सर्वेक्षण" के नतीजों में साफ पता चलता है। स्वतंत्रता के 73 वर्ष के बाद भी हमें यह खबरें मिलती रहती हैं कि कालेज के युवा छात्र नशीले पदार्थों के आदी बन रहे हैं या स्कूल के निकट नशीले पदार्थों बेचने वालों को पुलिस ने धर-दबोचा है। यह देखा जाता है कि यह आदत शराब से शुरू होकर निकोटिन और गांजा से होते हुए अत्यधिक नशीले पदार्थों जैसे कोकिन, एमडीएमई आदि तक पहुंच जाती है।

मैं इसे अपना सौभाग्य समझता हूं कि मुझे इस दिशा में काम करने का अवसर मिला है, जो मेरे दिल के बहुत करीब है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में नशा मुक्त भारत अभियान एक अनूठी पहल है, जिसके अंतर्गत नशीली दवा के दुरुपयोग से उपजी अनेक बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

15 अगस्त, 2020 को प्रारंभ किए गए नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत 272 जिलों को लक्षित किया गया है, जिन्हें सरकारी सूचनाओं के आधार पर अत्यधिक संवेदनशील माना गया है। युवाओं पर नशीली दवा के दुरुपयोग के अत्यधिक बुरे प्रभाव को देखते हुए, इस अभियान के अंतर्गत स्कूलों, उच्चतर शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालय परिसरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। साथ ही, एनएसएस, एनवाईकेएस, एनसीसी जैसे युवा समूहों को लक्षित जनसंख्या तक पहुंचने के लिए जोड़ा गया है। माननीय प्रधानमंत्री का संदेश "ड्रग्स आर नॉट कूल", इन चैनलों के माध्यम से जोर-शोर से प्रचारित किया जा रहा है।

मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व का अहसास हो रहा है कि हम स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से व्यसनियों की पहचान, उपचार और पुनर्वास करने के लिए समुदाय आधारित सेवाएं प्रदान करने में सफल हुए हैं। सरकार नशामुक्ति केंद्र संचालित करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। नशीली दवा का दुरुपयोग करने वाले पीड़ितों, उनके परिवारों और समाज के बड़े वर्ग को सहायता प्रदान करने के लिए 247 राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन, जो विशेष रूप से लॉकडाउन के दौरान बहुत उपयोगी साबित हुई, स्थापित की गई है। आउटरीच और ड्राप-इन सेन्टर (ओडीआईसी), जो नशीली दवा का दुरुपयोग करने वाले व्यक्तियों के लिए सुरक्षित केंद्र हैं, परामर्श देने, मूल्यांकन करने, स्क्रीनिंग करने की व्यवस्था के साथ, स्थापित किए जा रहे हैं। इन सुविधाओं के अतिरिक्त, विभिन्न आश्रितों के लिए पुनर्वास और उपचार सेवाओं हेतु रेफरल और लिंकेज सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं।

इस तथ्य को संज्ञान में रखते हुए कि नशीली दवा के दुरुपयोग की समस्या को हल करने के लिए सरकार के विभिन्न स्तरों पर ठोस कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है, मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को अपनी स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाने और विशेष प्रयास करने तथा अपने क्षेत्रों में नशीली दवा की मांग में कटौती करने के लिए विशिष्ट और उपयुक्त रणनीति तैयार करने के लिए कहा है। नशामुक्त भारत अभियान की गति और प्रभाविकता को बनाए रखने की ²ष्टि से जिला स्तरीय समितियों के रूप में एक निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है।

इस सामाजिक बुराई को दूर करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता इस बात से स्पष्ट होती है कि सरकार ने वर्ष 2017-18 में किए मात्र 49 करोड़ रुपए के परिव्यय को बढ़ाकर 260 करोड़ रुपए किया है। मंत्रालय, नशीली दवा के दुरुपयोग को कम करने के लिए वर्ष 2018-2025 के दौरान एक व्यापक राष्ट्रीय कार्य योजना को कार्यान्वित कर रहा है। यह कार्यक्रम गति पकड़ रहा है और यह मिशन धीरे-धीरे एक सामाजिक अभियान के रूप में बदलता जा रहा है, जिसमें युवा वर्ग और समाज का बहुत बड़ा हिस्सा शामिल है।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि सरकार, समाज और स्वैच्छिक संगठनों के कठिन परिश्रम, प्रतिबद्धता और ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप हम आगामी जून में सही ढंग से, "नशीली दवा दुरुपयोग और अवैध व्यापार के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस" को आयोजित कर पाएंगे और आने वाले वर्षों में समाज को नशे से पूर्णरूप से मुक्त करने की दिशा में महात्मा गांधी के सपने को साकार कर पाएंगे।


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