औद्योगिक विकास मंंत्री से मिले आम्रपाली के निवेशकों ने सुनाया दुखड़ा
एनसीआर में लगातार जारी धरना प्रदर्शन के बीच मंगलवार को नेफोवा के नेतृत्व में आम्रपाली के निवेशकों ने उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना से मुलाकात की
नोएडा। एनसीआर में लगातार जारी धरना प्रदर्शन के बीच मंगलवार को नेफोवा के नेतृत्व में आम्रपाली के निवेशकों ने उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना से मुलाकात की।
इस मौके पर निवेशकों ने कहा कि वह प्राधिकरण और बिल्डर्स के रवैये से नाराज थे। उनका कहना है की मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद अब तक समाधान नहीं दिख रहा है। आम्रपाली बिल्डर्स के खिलाफ कड़ी करवाई की मांग की गई। वहीं, घर खरीदारों ने सरकार से एक बार फिर निर्माणाधीन परियोजना को कब्जे में लेकर सरकारी एजेंसी से निर्माण की अपील की। घर खरीदारों ने बताया की किस तरह किराये और ईएमआई का बोझ उनके लिए मुश्किल बनता जा रहा है। उन्होंने महाना से ईएमआई की समस्या के निदान की अपील की है साथ ही घर खरीदारों ने रियल एस्टेट कानून को सख्ती से लागू करवाने की मांग की। उन प्रोजेक्ट को रियल एस्टेट कानून के दायरे में लाने की मांग की जो अ•ाी तक बने नहीं हैं। औद्योगिक विकास मंत्री ने घर खरीदारों को ध्यान से सुना।
उन्होंने बताया की समस्या को सुनने के लिए चार कम्पनियां जल्द जुटेंगी। उन्होंने साफ किया की सरकार की प्राथमिकता मुश्किल में आ चुके निवेशकों की समस्याओं का निस्तारित करने की है। मंत्री जी ने भरोसा दिया है की घर खरीदारों का पैसा कहीं दूसरी परियोजना में नहीं जाने दिया जाएगा। इस मौके पर निवेशकों ने आम्रपाली के सभी परियोजनाओं की विस्तÞत जानकारी दी। सतीश महाना ने स्पष्ट कहा कि बिल्डर जल्द ही सीधे रास्ते पर नहीं आए तो सरकार उन पर सख्त कदम उठाएगी और हर कदम पर विचार किया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल में नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार, इंद्रीश गुप्ता, टी के पाठक, सुमित सक्सेना, दीपंकर सिंह, योगेश त्यागी व कई घर खरीदार मौजूद रहे।
सेक्टर-62 स्थित आम्रपाली के कारपोरेट आफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे निवेशकों के हौसले बुलंद है। बारिश •ाी उनके हौसले को डिका नहीं सकी। प्रदर्शन करते हुए निवेशकों का मंगलवार को नवा दिन था। निवेशकों ने कहा कि जब तक हमारा पैसा या मकान नहीं मिलता तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। उधर, रोड मैप तैयार करने की अवधि •ाी समाप्त होती जा रही है। ऐसे में यदि जल्द ही आम्रपाली या प्रशासन की ओर से बड़ा कदम नहीं लिया जाता तो गं•ाीर परिणाम सामने आ सकते है।
जेपी के बाद आम्रपाली की तीन कंपनियां हो सकती दीवालिया
नोएडा। जेपी इन्फ्राटेक के बाद अब आम्रपाली के निवेशकों की मुसीबतें बढ़ने जा रही है। समूह की तीन कंपनियों के खिलाफ दिवालियापन की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है। यह फैसला नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा दो से तीन दिन में सुनाया जा सकता है। समूह के जिन कंपनियों के खिलाफ यह एक्शन लेने की तैयारी चल रही है। उसमे नोएडा के सिलिकॉन सिटी, ग्रेटरनोएडा के अल्ट्रा होम कंस्ट्रक्शन व आम्रपाली इंफ्रास्ट्रक्चर है। यदि ऐसा होता है तो करीब एक हजार से ज्यादा निवेशक दीवालियापन के फेर में फंस सकते है। नेफोवा के महासचिव इंद्रीश गुप्ता ने बताया कि आम्रपाली ने तीनों कंपनी में निर्माण कार्य के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा से लोन लिया था। समय रहते यह लोन नहीं चुकाया गया। लिहाजा बैंक ने एनसीएलटी में याचिका दायर की। जिस पर आम्रपाली की तरफ से किसी •ाी तरह की आपत्ति जाहिर नहीं की है। ऐसे में नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) की प्रमुख बेंच ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है जिसका ऐलान वह कर सकती है। एक हजार घर खरीदारों पर इस एक्शन का असर होगा। कंपनी के एक सूत्र का कहना है कि सिलिकन सिटी के घर खरीदारों को डिलिवरी देना आम्रपाली की प्राथमिकता है। सूत्रों की माने तो सिलिकन सिटी में बैंक ऑफ बड़ौदा का मूलधन के रूप में 56 करोड़ रुपया बकाया है। इस कंपनी को ओबीसी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने लोन दे रखा है। इसके अतिरिक्त सिलिकन सिटी पर नोएडा अथॉरिटी का 550 करोड़ रुपये बकाया है। सिलिकन सिटी नोएडा सेक्टर 74-75 में अपना हाउजिंग परियोजना तैयार कर रही है।
कंपनी ने 2,500 खरीदारों को कब्जा दे दिया है जबकि शेष 1,000 मकानों में 500 निवेशकों को कब्जा दिसंबर 2017 तक दिए जाने की उम्मीद है। जानकारी के मुताबिक, 500 अन्य का निर्माण तेजी से हो रहा है। कंपनी के एक सूत्र ने कहा कि सिलिकन सिटी ने दीवालियापन कोड के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने पर अपनी सहमति नहीं दी है। वहीं, अल्ट्रा होम्स पर बैंक ऑफ बड़ौदा का 30 करोड़ रुपये बकाया है।
वहीं, टेक पार्ट में कंपनी ने ग्रेटर नोएडा की 100 एकड़ जमीन पर प्री-फैब्रिकेशन फैक्ट्री बनाई है। इसके लिए कंपनी ने 200 करोड़ का कर्ज लिया था, लेकिन अब तक महज 25 करोड़ रुपये ही लौटाए गए हैं।


