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आम्रपाली मामले में जांच एजेंसियों को कठोर कदम उठाने का आदेश

उच्चतम न्यायालय ने आम्रपाली समूह मामले में सोमवार को फॉरेंसिक ऑडिटर्स को आदेश दिया कि वह अपनी रिपोर्ट मामले की जांच कर रहे

आम्रपाली मामले में जांच एजेंसियों को कठोर कदम उठाने का आदेश
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आम्रपाली समूह मामले में फॉरेंसिक ऑडिटर्स को आदेश दिया कि वह अपनी रिपोर्ट मामले की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय को सौंपे और एजेंसियां इस संबंध में कठोर कदम उठाएं।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश भी दिया कि वह नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ( एनबीसीसी) को 7.16 करोड़ रुपये जारी करे ताकि वह आम्रपाली की अधूरी परियोजना पूरा करने में जुटे।

शीर्ष अदालत ने समय- समय पर आम्रपाली निदेशकों एवम् अन्य कंपनियों तथा लोगों द्वारा लिये गए फंड को रजिस्ट्री के विशेष खाते में जमा कराने के निर्देश दिए थे।
पीठ ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को निर्देश दिया कि वे मामले में नजर रखने के लिए निगरानी समिति का गठन करें। अदालत अब इस मामले की सुनवाई 11 सितंबर को करेगी।
इससे पहले 13 अगस्त को न्यायालय ने सुनवाई करते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वे आम्रपाली फ्लैट खरीदारों का फ्लैट रजिस्ट्रेशन तुरंत शुरू करें। पीठ ने चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि अथॉरिटी ने उनके आदेश का पालन नहीं किया तो संबंधित अधिकारियों को जेल भेज देंगे।

गौरतलब है कि गत 23 जुलाई को हजारों होमबॉयर्स को बड़ी राहत देते हुए न्यायालय ने रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 के तहत आम्रपाली समूह का पंजीकरण रद्द कर दिया था और एनबीसीसी को ग्रेटर नोएडा और नोएडा में लंबित निर्माण परियोजनाओं को संभालने का निर्देश था। पीठ ने पाया था कि आम्रपाली समूह ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा के अधिकारियों की मिलीभगत से होमबॉयर्स के पैसों के साथ फर्जीवाडा किया है।

शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली के निदेशकों और अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू करने और समय-समय पर रिपोर्ट के साथ जांच की प्रगति के साथ अदालत को सूचित करने का निर्देश भी दिया था। पीठ ने कहा था कि एनबीसीसी रुकी हुई आम्रपाली परियोजनाओं को पूरा करेगी जिसका उसे 8 प्रतिशत कमीशन मिलेगा। होमबॉयर्स को शेष राशि विशेष खाते में जमा करनी होगी। कोर्ट ने यह कहते हुए होमबॉयर्स के हितों की रक्षा की है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को परियोजना संपत्तियों के अलावा आम्रपाली की बाकी संपत्ति से अपना बकाया वसूलना होगा। वरिष्ठ वकील आर वेंकटरमनी को परियोजना संपत्तियों के संबंध में अदालत रिसीवर नियुक्त किया गया है। वहीं ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने बताया था कि आम्रपाली ग्रुप के अधिकार क्षेत्र में पांच परियोजनाएँ थीं। इसमें से चार खाली जमीन और बिना किसी निर्माण के थी। बकाया 3,400 करोड़ रुपये में से प्राधिकरण को आम्रपाली समूह से केवल 363 करोड़ रुपये मिले थे। दरअसल होमबॉयर्स ने आम्रपाली समूह की परियोजनाओं में बुक किए गए लगभग 42,000 फ्लैटों पर कब्जे के लिए कई याचिकाएं दायर की हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों द्वारा दलीलें दिए जाने के बाद कि परियोजनाओं को पूरा करने के लिए उनके पास विशेषज्ञता और संसाधनों की कमी है, अदालत ने 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पिछले मार्च में अदालत ने दिल्ली पुलिस को आम्रपाली समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा और दो निदेशकों, शिव प्रिया और अजय कुमार को गिरफ्तार करने की अनुमति दी थी।


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