ईएमआई रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे आम्रपाली बायर्स
आम्रपाली समूह के रूके हुए परियोजना का काम को-डेवलपर करेगा। समूह को 15 जून तक 250 करोड़ रुपए भी जमा करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया

नोएडा। आम्रपाली समूह के रूके हुए परियोजना का काम को-डेवलपर करेगा। समूह को 15 जून तक 250 करोड़ रुपए भी जमा करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया। बायर्स ने फैसले पर खुशी जाहिर की लेकिन सवाल अब भी यही है कि आखिर कब तक काम पूरा होगा। मकानों में वह सभी सुविधाएं होंगी जिन्हें बुकिंग के दौरान बताया गया। उनका पैसा कहीं फंसेगा तो नहीं। ऐसे कई सावलों के साथ शुक्रवार को नेफोवा ने एक प्रेस-वार्ता का आयोजन किया। वहीं, इएमआई रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख करेंगे। और नो वोट नो होम का अभियान भी शुरू किया जाएगा।
नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार का कहना है कि घर मिलने तक बैंकों की ईएमआई रोकने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। आम्रपाली की आदर्श आवास योजना के नाम पर धांधली की गई। एजेंट के जरिए बुकिंग कराकर 11-11 हजार रुपए लिए गए। उन्होंने दोनों प्राधिकरण पर बिल्डर के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया और कहा कि अधूरी परियोजनाओं को भी कंपलीशन सर्टिफिकेट दे दिया गया।
नेफोवा की महासचिव श्वेता ने बताया कि वह लोग नो हाउस-नो वोट का अभियान शुरू करेंगे। सपा के बाद अब भाजपा की सरकार को आए हुए भी एक साल हो गया, लेकिन किसी ने घर खरीदारों की मदद नहीं की। मंत्री, सांसद हो या विधायक, हर कोई झूठा आश्वासन दे रहे हैं। प्रेस वार्ता के दौरान जिन को-डेवलपर को काम पूरा करना होगा उनमें गैलेक्सी, कनोडिया सीमेंट व आईआईएफएल कंपनी है।
खरीदारों के वकील कुमार मिहिर ने बताया कि गैलेक्सी को सफायर, लेजर पार्क, रिवर व्यू, लेजर वैली, वैरोना, ड्रीम वैली, ईडन पार्क, आदि परियोजनाएं पूरी करनी है।
आईआईएफएल को जोडिएक, प्लेटिनियम, किंगस वुड, गोल्फ होम्स, सेंचुरियन के अलावा कोच्चि व रांची की परियोजनाओं को पूरा करना होगा।
कनोडिया ग्रुप को प्रिंसले स्टेट परियोजना पूरी करनी होगी। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने काम के हिसाब से परियोजनाओं को ए, बी और सी श्रेणी में बांटा है। ए श्रेणी में वे परियोजनाएं हैं जिनमें सबसे कम काम बचा है। बी श्रेणी में 60 से 70 प्रतिशत काम हो चुका है।
सी श्रेणी में जमीन खाली है या नाम मात्र काम हुआ है। खरीदारों के वकील कुमार मिहिर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि काम पूरा होने तक खरीदारों को कोई पैसा नहीं देना होगा। पजेशन लेटर मिलने के तीन महीने बाद बचा हुआ पैसा देना होगा। आम्रपाली की परियोजनाओं में खरीदार 80 से 90 प्रतिशत पैसा दे चुके हैं। सी श्रेणी में आमप्राली की वे परियोजनाएं हैं जिनमें लगभग काम हुआ ही नहीं।
ऐसे में इन परियोजनाओं में खरीदारों के फ्लैट दूसरी योजनाओं में ट्रांसफर किए जाएंगे या पैसे रिफंड। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली से कार्य योजना मांगी है। फ्लैट ट्रांसफर और रिफंड का तरीका क्या होगा, इस पर आम्रपाली से योजना मांगी है।


