लेखिका कृष्णा सोबती का निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर
हिन्दी कथा साहित्य को नई भाषा देने वाली शब्द शिल्पी कृष्णा सोबती का आज सुबह यहाँ एक निजी अस्पताल में निधन हो गया;
नयी दिल्ली। हिन्दी कथा साहित्य को नई भाषा देने वाली शब्द शिल्पी कृष्णा सोबती का आज सुबह यहाँ एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 93 वर्ष की थी। ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त श्रीमती सोबती के निधन से हिन्दी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गयी।
उनके पति का निधन बहुत पहले हो गया था। उनकी कोई संतान थी। वह एकाकी जीवन व्यतीत कर रही थीं ।
वह आज़ादी के बाद हिन्दी की सबसे बड़ी एवं लोकप्रिय लेखिका थी तथा अपने साहसिक लेखन के लिए जानी जाती थीं।
प्रसिद्ध लेखक एवं संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने बताया कि श्रीमती सोबती की तबियत ख़राब होने के कारन उन्हें 30 नवम्बर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ आज सुबह साढ़े आठ बजे उनका निधन हो गया। उनके निधन से हिन्दी साहित्य का एक स्तम्भ ढह गया। वह महादेवी वर्मा के बाद हिन्दी की सबसे बड़ी लेखिका थीं। उन्होंने हिन्दी गद्य को एक नई शैली दी थी। उनकी रचना में जीवन और मृत्यु के बड़े प्रश्नों को नए शिल्प और नई भाषा में स्थान मिला था।
श्रीमती सोबती का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट के विद्युत शवदाह गृह में आज शाम चार बजे किया जायेगा।
साहित्य अकादमी, भारतीय ज्ञानपीठ ,अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ , जनवादी लेखक संघ जनसंस्कृति मंच आदि ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने कहा,“ कृष्णा जी को 1980 में ‘जिन्दगीनामा’ उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला और वह फेलो भी बनाई गयीं। साहित्य अकादमी के लिए यह निजी क्षति है। वह भारतीय भाषाओं की बड़ी लेखिका थीं। अकादमी की फेलो होने के नाते एक दिन उनकी स्मृति में अर्ध अवकाश भी रहेगा।”
अठारह फरवरी 1925 को पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के गुजरात में जन्मी श्रीमती सोबती देश विभाजन के बाद दिल्ली आयीं और यहीं बस गयीं। ‘बादलों के घेरे’ कहानी से 50 के दशक के नई कहानी आन्दोलन में प्रकाश में आयीं श्रीमती सोबती के उपन्यास ‘मित्रों मरजानी ’ने उन्हें साहित्य में स्थापित कर दिया।
इस कृति पर गत चार दशक में अनेक मंचन भी हुए हैं। यारों के यार तीन पहाड़, सूरजमुखी अँधेरे के, जिंदगीनामा समय-सरगम, हम हशमत और ऐ लड़की उनकी चर्चित कृतियाँ हैं। उन्होंने हिन्दी में स्त्री विमर्श को नया आयाम दिया और साहसिक लेखन किया।