श्रम मंत्रालय के भवन निर्माण में बच्चे कर रहे काम!
केन्द्र सरकार के श्रम मंत्रालय के तहत बनाए जा रहे भवन तथा कार्यालय स्थल में स्कूली बच्चों को स्कूल से वंचित करके काम लिया जा रहा है;
रायगढ़। केन्द्र सरकार के श्रम मंत्रालय के तहत बनाए जा रहे भवन तथा कार्यालय स्थल में स्कूली बच्चों को स्कूल से वंचित करके काम लिया जा रहा है। बड़े खतरे के बीच काम करते बच्चों को न तो ठेकेदार रोक रहा है और न ही स्थल में तैनात मैनेजर। दिनदहाड़े इस स्थल में सुबह से लेकर शाम तक नन्हें बच्चे रेत व ईंट गिट्टी ढो रहे हैं। जो बच्चे निर्माण स्थल में काम कर रहे हैं उनकी उम्र 10 से 12 साल है और तीनों बच्चों के माता-पिता जांजगीर चांपा जिले के रहने वाले हैं। 15 दिनों से रायगढ़ में रहकर वे रोजी रोटी कमाने के लिए यहां बसे हुए है जिसके चलते बच्चों का स्कूल जाना भी बंद है।
श्रम मंत्रालय के तहत महत्वकांशी हाउसिंग तथा कार्यालय योजना नन्हें बच्चे स्कूल ड्रेस में रेत तथा ईंट ढोने का काम कर रहे हैं। सुबह से लेकर देर शाम तक यही नजारा यहां देखने को मिल रहा है। जबकि मौके पर बच्चों की मां भी अपने बच्चों को रोकने से परहेज करती है। श्रम मंत्रालय के इस स्थल में काम कर रहे बच्चों को न तो ठेकेदार रोक रहा था और न ही इंजीनियर के द्वारा मना किया जा रहा था।
जब बच्चों की मांं से बच्चों के काम करने की बात पूछा गया तो वह भागती नजर आयी और बातचीत के दौरान उसने यह कहा कि पेट पालने के लिए काम तो लेना ही पड़ेगा। इसके बाद हमने चौकीदार के अलावा ठेकेदार के मुंशी और उसके पिता से बात की तो सभी का अलग-अलग ढंग से जवाब था। अपने बच्चों के बारे में पिता का कहना था कि वह जांजगीर-चांपा से यहां आया है और 15 दिन से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं और खेलते समय बच्चे ऐसा कर रहे हैं।
श्रम मंत्रालय के इस निर्माण स्थल पर रायगढ़ जिले के श्रम विभाग कार्यालय तथा हाउसिंग के तहत मकान बनाए जा रहे हैं और विशाल परिसर में कई लोग बिना सुरक्षा के काम करते नजर आ रहे थे और नन्हें बच्चे भी बाहर से रेत घमेले में उठाकर सिर पर रख कर काम करते नजर आ रहे थे।
इस संबंध में श्रम विभाग के क्षेत्र प्रभारी बीपी पटेल से पूछताछ की गई तो वे पहले तो बात करने से इंकार करते नजर आए, लेकिन बाद में उनका कहना था कि मीडिया के माध्यम से उन्हें इसकी जानकारी मिली है। तो वे जांच कर जल्द ही कार्रवाई करेंगे। बहरहाल अपना स्कूल छोड़कर काम करते हुए नन्हें बच्चों के इस जोखिम भरे नजारे के मामले में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को खबर नहीं होना इस बात को साबित करता है कि सरकारी महकमे में ही नियमों का खुला उल्लघंन रोकने के लिए कोई यहां झांकता तक नहीं है।