खत्म होगा यूजीसी
बुधवार से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है;
नई दिल्ली। बुधवार से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। केंद्र सरकार की तरफ से मानव संसाधन मंत्रालय ने यूजीसी एक्ट 1951 को समाप्त करने की घोषणा करते हुए कहा कि देश में जल्द ही इसके स्थान पर उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा। केंद्र सरकार उच्च शिक्षा पर नजर रखने के लिए हायर एजूकेशन कमीशन ऑफ इंडिया एक्ट (एचईसीआई) को लेकर के आ रही है। केंद्र सरकार के इस कदम से 61 साल पुराना यूजीसी एक्ट खत्म हो जाएगा।
सरकार ने इस बात का फैसला मार्च में लिया था। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अधिनियम का मसौदा पेश करते हुए इसके हितधारकों से उनकी संस्तुति सात जुलाई, 2018 तक भेजने की अपील की। जावड़ेकर ने ट्वीट किया, मैं सभी शिक्षाविदों, हितधारकों और अन्य से अपनी टिप्पणी और सुझाव सात जुलाई शाम पांच बजे तक 'रिफॉर्मऑफयूजीसी एट जीमेल डॉट कॉम' पर भेजने की अपील करता हूं।
उन्होंने कहा कि नियामक तंत्र में परिवर्तन, न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन, अनुदान कार्यो को अलग करने, निरीक्षण राज का अंत करने, अकादमिक गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने तथा लागू करने करने की शक्तियों के सिद्धांत पर आधारित है। 'भारतीय उच्च शिक्षा आयोग अधिनियम, 2018' नामक यह अधिनियम केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को छोड़कर संसद के किसी भी अधिनियम के अंतर्गत स्थापित उच्च शिक्षण संस्थानों पर लागू होगा।
मानसून सत्र में पेश होगा विधेयक
केंद्र सरकार मानसून सत्र में हायर एजुकेशन रेग्यूलेटरी काउंसिल (एचईआरसी) नाम से तैयार इस बिल को संसद में पेश करेगी। इस बिल के कानून बन जाने के बाद देश भर में उच्च शिक्षा के लिए बने आयोग और परिषद खत्म हो जाएंगे। यह देश में मौजूद सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए एक गाइड की तरह काम करेगा। इसके साथ ही नए कोर्स के बारे में भी सभी को सुझाव भी देगा।
अनुदान एचआरडी मंत्रालय से करनी होगी सिफारिश
हालांकि इस आयोग के पास किसी भी विश्वविद्यालय या फिर तकनीकी संस्थान को अनुदान नहीं दे सकेगा। अनुदान के लिए आयोग केवल एचआरडी मंत्रालय को सिफारिश कर सकेगा। इस ड्रॉफ्ट बिल को मानव संसाधन मंत्रालय ने तैयार किया है और पीएमओ में बारीकी से देखा गया है। इस बिल को सितंबर में होने वाले मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा।