निजता मौलिक अधिकार है या नहीं, फैसला आज

उच्चतम न्यायालय आधार मामले में निजता के अधिकार को लेकर अपना महत्वपूर्ण फैसला कल सुनाएगा;

Update: 2017-08-24 17:09 GMT

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय आधार मामले में निजता के अधिकार को लेकर अपना महत्वपूर्ण फैसला कल सुनाएगा। मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली नौ-सदस्यीय संविधान पीठ सुबह साढ़े 10 बजे इस मामले में अपना फैसला सुनायेगी।

संविधान पीठ इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों की श्रेणी में आता है या नहीं। संविधान पीठ ने 19 जुलाई से इस मामले पर मैराथन सुनवाई शुरू की थी और तीन अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निजता के अधिकार के मसले को नौ-सदस्यीय संविधान पीठ के पास स्थानांतरित किया था। इससे पहले 18 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि यह तय करना जरूरी है कि संविधान के तहत निजता के अधिकार में क्या शामिल है और क्या नहीं?

इसलिए इस मामले को नौ सदस्यों वाली संविधान पीठ के पास भेजा जाना चाहिए।

एटर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने दलील दी थी कि सूचनात्मक निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के स्तर पर नहीं ले जाया जा सकता।

गौरतलब है कि 1954 में आठ न्यायाधीशों और फिर 1962 में छह न्यायाधीशों की पीठ ने यह फैसला सुनाया था कि निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार नहीं है। इन्हीं फैसलों के आधार पर सरकार ने मूलभूत अधिकारों के नाम पर आधार कार्ड को चुनौती देनी वाली याचिकाओं का विरोध किया था।

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