पश्चिम बंगाल : चुनाव आयोग का निर्देश, मतदाता विवरण डिजिटलीकरण की बढ़ाई समय सीमा, जानिए नई तारीख

चुनाव आयोग (ईसीआई) ने पश्चिम बंगाल में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में गणना प्रपत्रों के माध्यम से एकत्रित मतदाता विवरणों के डिजिटलीकरण को पूरा करने के लिए नवंबर के अंत तक की समय सीमा तय की है;

Update: 2025-11-16 11:06 GMT

चुनाव आयोग ने मतदाता विवरण डिजिटलीकरण की समय सीमा नवंबर के अंत तक बढ़ाई

कोलकाता। चुनाव आयोग (ईसीआई) ने पश्चिम बंगाल में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में गणना प्रपत्रों के माध्यम से एकत्रित मतदाता विवरणों के डिजिटलीकरण को पूरा करने के लिए नवंबर के अंत तक की समय सीमा तय की है।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के अनुसार, बूथ स्तर पर पहले से ही चल रहे डिजिटलीकरण कार्य में अब तक लगभग 50 लाख फॉर्म शामिल हो चुके हैं। सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर यूनीवार्ता को बताया, "आयोग के निर्देशानुसार रविवार से डेटा प्रविष्टि की गति बढ़ायी जायेगी। पूरी प्रक्रिया महीने के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है।"

राज्य के सीईओ मनोज कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता में शनिवार शाम को जिलाधिकारियों (जो जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में भी काम करते हैं) और उनके अधीनस्थ चुनाव अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक के दौरान समय सीमा को अंतिम रूप दिया गया। ईसीआई के वरिष्ठ अधिकारी वर्चुअली तरीके से बैठक में शामिल हुए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ईसीआई की चार सदस्यीय टीम चार नवंबर से शुरू हुई संशोधन प्रक्रिया की प्रगति का आकलन करने के लिए 18 से 21 नवंबर तक पश्चिम बंगाल का दौरा करेगी।

प्रतिनिधिमंडल में उप चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती, प्रमुख सचिव एस. बी. जोशी और मलय मलिक, और उप सचिव अभिनव अग्रवाल शामिल होंगे। चार दिवसीय प्रवास के दौरान ईसीआई की टीम कोलकाता, दक्षिण 24 परगना, नादिया, मुर्शिदाबाद और मालदा में एसआईआर कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी। गौरतलब है कि यह इस महीने ईसीआई टीम का दूसरा दौरा होगा। यह राज्य में संशोधन प्रक्रिया पर आयोग की करीबी निगरानी को रेखांकित करता है।

इससे पहले, श्री भारती के नेतृत्व में एक टीम ने उत्तर बंगाल का दौरा किया था और गणना शुरू होने के तुरंत बाद चार जिलों में प्रगति की समीक्षा की। तीन चरणों में आयोजित किया जा रहा एसआईआर चार नवंबर को शुरू हुआ और अगले साल मार्च तक समाप्त होने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल में आखिरी बार 2002 में इतना व्यापक संशोधन हुआ था।

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