दुर्गा विसर्जन पर पश्चिम बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट  में चुनौती नहीं देगी

पश्चिम बंगाल सरकार देवी दुर्गा के प्रतिमा विसर्जन को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं देगी;

Update: 2017-09-22 16:50 GMT

कोलकाता।  पश्चिम बंगाल सरकार देवी दुर्गा के प्रतिमा विसर्जन को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं देगी।

मुख्य न्यायाधीश राकेश तिवारी (कार्यवाहक) की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार के मुहर्रम के दिन यानी एक अक्टूबर को देवी दुर्गा की प्रतिमा विसर्जित न करने संबंधी आदेश को निरस्त करते हुए कल इस दिन मूर्ति विसर्जन की अनुमति दे दी।
न्यायालय ने राज्य सरकार को मुहर्रम के दिन दोनों समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त सुरक्षाबल तैनात करने का भी आदेश दिया।

राज्य में सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आज कहा, “कलकत्ता उच्च न्यायालय का फैसला हमारे पक्ष में है।
हम इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं देंगे।

” राज्य सरकार ने हालांकि कल शाम कहा था कि वह इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मसले पर चर्चा के लिए आज वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगी।

बनर्जी ने 23 सितम्बर को दुर्गा पूजा आयोजकों के साथ एक बैठक करने के बाद घोषणा की थी कि 30 सितम्बर को विजयादशमी के दिन शाम छ: बजे तक ही प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा और अगले दिन एक अक्टूबर को मुहर्रम होने के कारण दिन भर विसर्जन नहीं किया जाएगा। उसके बाद प्रतिमा विसर्जन दो और तीन अक्टूबर को किया जा सकेगा। उनके फैसले को चुनौती देते हुए कम से कम तीन याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गयीं।

बाद में राज्य सरकार ने 30 सितंबर को विसर्जन का समय पूर्व निर्धारित छह बजे से चार घंटे बढ़ाकर रात 10 बजे तक कर दिया लेकिन एक अक्टूबर को विसर्जन पर लगी रोक नहीं हटायी।
 

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