वैद्य संघ ने तैयार किए 5 लाख औषधीय पौधे

होम हर्बल गार्डन योजना के अंतर्गत  छत्तीसगढ़ राज्य  औषधीय पादप बोर्ड रायपुर के  सहयोग से परंपरागत वनौषधि  प्रशिक्षित वैद्य संघ छत्तीसगढ़  द्वारा औषधीय पौधों की तीन नर्सरी में लगभग पांच लाख पौधे तैयार क;

Update: 2018-07-02 12:49 GMT

15 जुलाई से होगा निशुल्क वितरण
रतनपुर। होम हर्बल गार्डन योजना के अंतर्गत  छत्तीसगढ़ राज्य  औषधीय पादप बोर्ड रायपुर के  सहयोग से परंपरागत वनौषधि  प्रशिक्षित वैद्य संघ छत्तीसगढ़  द्वारा औषधीय पौधों की तीन नर्सरी में लगभग पांच लाख पौधे तैयार किये है।

विदित हो की होम हर्बल गार्डन योजना के तहत इस वर्ष सर्वाधिक ओषधीय पौधे तैयार किये गए है, जो ग्राम रिगरिगा बेलगहना जिला बिलासपुर, ग्राम हरनमूडी पाली जिला कोरबा  व ग्राम डोमसरा, पण्डरिया जिला कबीर धाम मे स्थित नर्सरी में उपलब्ध है ,जिसमे  प्रमुख रूप से  अश्वगंधा,गिलोय, अडूसा, ब्राम्ही, सतावर,

कालमेघ, तुलसी, स्टीविया, हडजोड, आंवला आमाहल्दी, सतावर, मण्डूपपर्णी निर्गुणी, गुडमार, सहिजन आदि औषधीय पौधे शामिल  हैं । होम हर्बल गार्डन योजना के  प्रभारी वैद्य अवधेश कश्यप ने बताया कि  हमारे सभी स्थानीय वैद्यों के सहयोग से माह अप्रैल से ही नर्सरी का कार्य प्रारंभ किया गया था और 15 जुलाई से औषधीय पौधों का निशुल्क वितरण प्रारम्भ कर दिया जावेगा। परंपरागत वैद्य संघ छत्तीसगढ़ के प्रांतीय सचिव वैद्य निर्मल अवस्थी ने बताया कि पाँच वर्षों से लगातार परंपरागत वैद्य संघ ने आमजनमानस के साथ-साथ  प्राथमिक विद्यालय, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं विभिन्न  महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों  के छाञ छात्राओं व ग्रामीण शहरी  सहित लगभग  तीन लाख लोगों को औषधीय पौधों के महत्व व उपयोगिता की जानकारी से अवगत कराते हुए निशुल्क औषधीय पौधों का वितरण किया गया है और इसका प्रतिसाद सकारात्मक मिला है अब तो लोग पहले से ही सम्पर्क करने लगते है और प्राथमिक उपचार हेतु औषधीय पौधों का उपयोग कर भी रहें हैं। 

श्री अवस्थी ने बताया कि आमजन  को अपने अपने घरों में गमलों पर इन औषधीय पौधों को लगाने में परेशानी नहीँ  होती है एवं सरल व सहज उपलब्धता से उपयोग करने में भी आसानी होती है।

श्री अवस्थी ने बताया जैसे गिलोय की लता होती है यह मानव जीवन की हर बीमारी के इलाज के लिए बहु उपयोगी है इसी लिए  इसे संस्कृति मे अमृता कहा गया है रोगप्रतिरोधक क्षमता में मधुमेह उच्च रक्तचाप, ज्वर ,कैंसर ,त्वचा रोग ,रक्तशोधक उसी प्रकार अडूसा, ब्राम्ही, गुडमार,घृतकुमारी, गुडमार,हडजोड यह आसानी से गमलों मे लगाऐ जा सकते है यह सभी प्रकृति प्रदत्त जीवन दायनी वनस्पतियां है,ये ऊषधिय पौधे अनेक बीमारियों के लिए ब्रम्हास्त्र बन जाता है,उन्होंने बताया कि आयुर्वेद जिला चिकित्सालय बिलासपुर व गुरूघांसी केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर तथा सी वी रमन विश्वविद्यालय कोटा एवं  अन्य  विभिन्न  विद्यालयों मे इन पौधों का रोपण भी किया जा चुका है ,जो वर्तमान में  हर्बल गार्डन के रूप में विकसित हो गया है।

वैद्य अवस्थी ने बताया कि इस वर्ष 50 हजार छात्र छात्राओं व एक लाख आमजनमानस को औषधीय पौधों का ज्ञान और स्वस्थ जीवन की पहचान के प्रति जागरूक किया जाना सुनिश्चित किया गया है, इन औषधीय पौधों की उपयोगिता और महत्वपूर्ण जानकारी के लिऐ छत्तीसगढ़ी भाषा में औषधीय गीत संगीत के माध्यम व एक नि:शुल्क पुस्तिका भी दी प्रदान किया जाएगा।

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