उत्तर प्रदेश सरकार ने दो करोड़ रुपए से निखरेगा लखनऊ का यहियागंज गुरुद्वारा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ऐतिहासिक यहियागंज गुरुद्वारे को पर्यटन मानचित्र पर उभारने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है;

Update: 2025-12-07 21:50 GMT

लखनऊ का ऐतिहासिक यहियागंज गुरुद्वारा बनेगा पर्यटन मानचित्र पर नया आकर्षण

  • गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह की स्मृतियों से जुड़ा गुरुद्वारा होगा आधुनिक रूप में विकसित
  • आर्ट गैलरी और दुर्लभ धरोहरों से सुसज्जित यहियागंज गुरुद्वारा मिलेगा नया सौंदर्य
  • धार्मिक आस्था और पर्यटन विकास का संगम बनेगा लखनऊ का यहियागंज गुरुद्वारा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ऐतिहासिक यहियागंज गुरुद्वारे को पर्यटन मानचित्र पर उभारने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। पर्यटन विभाग ने गुरुद्वारे के कायाकल्प और सौंदर्यीकरण के लिए दो करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की है।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर और दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की पावन स्मृतियों से जुड़ा यह गुरुद्वारा प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत में विशेष स्थान रखता है, इसलिए इसके संरक्षण और आधुनिक विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। पर्यटन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी धर्मों की आस्था का सम्मान करते हुए धार्मिक स्थलों के संरक्षण एवं उन्नयन के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने बताया कि यहियागंज गुरुद्वारे को इतिहास, अध्यात्म और आधुनिक सुविधाओं के समन्वय के साथ विकसित किया जाएगा, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक इसकी समृद्ध परंपरा को करीब से जान सकें। मुख्यमंत्री पर्यटन स्थलों के विकास मद से वित्त वर्ष 2025-26 में 2 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जिनसे गुरुद्वारे के सौंदर्यीकरण, आगंतुक सुविधाओं के विस्तार और सुगम पहुंच व्यवस्था पर कार्य होगा। यहियागंज गुरुद्वारे के भीतर स्थित आर्ट गैलरी इसका विशेष आकर्षण है, जिसमें सिख इतिहास से जुड़ी दुर्लभ घटनाओं का चित्रण किया गया है। यहां गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह द्वारा हस्ताक्षरित दो हुक्मनामे तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हस्तलिखित प्रति भी संरक्षित है।

पवित्र ग्रंथ की इस प्रति के आरंभ में गुरु तेग बहादुर द्वारा स्वयं लिखा गया मूल मंत्र आज भी दर्शनार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए अमूल्य धरोहर है। लखनऊ आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक गुरुद्वारे तक आसानी से पहुंच सकते हैं। शहर के किसी भी हिस्से से सड़क मार्ग, चारबाग रेलवे स्टेशन और चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से इसकी कनेक्टिविटी बेहतर है।

प्रकाशोत्सव सहित विभिन्न धार्मिक अवसरों पर बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग यहां पहुंचकर भजन-कीर्तन, लंगर और सेवा गतिविधियों में शामिल होते हैं। प्रमुख सचिव पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य अमृत अभिजात ने कहा कि प्रदेश सरकार की पर्यटन नीति का लक्ष्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को आधुनिक सुविधाओं के साथ जोड़ना है।

उन्होंने कहा कि यहियागंज गुरुद्वारा न केवल सिख आस्था का केंद्र है, बल्कि लखनऊ की बहुसांस्कृतिक पहचान और सामाजिक सौहार्द का अद्वितीय प्रतीक भी है। उन्होंने आश्वस्त किया कि बेहतर कनेक्टिविटी, आगंतुक सुविधाओं के उन्नयन और ठोस अवसंरचना विकास के साथ इस पवित्र स्थल को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाया जाएगा।

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