उत्तराखंड की त्रिवेंन्द्र रावत सरकार को बड़ा झटका
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को भंग करने के मामले में उत्तराखंड की त्रिवेंन्द्र रावत सरकार को बड़ा झटका लगा है;
नैनीताल। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को भंग करने के मामले में उत्तराखंड की त्रिवेंन्द्र रावत सरकार को बड़ा झटका लगा है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले में सरकार के आदेश को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
सरकार को इस मामले में तीसरी बार मुंह की खानी पड़ी है।न्यायालय ने मामले को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए मंदिर समिति को बहाल कर दिया है। न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मंदिर समिति के सदस्य दिवाकर चमोली तथा दिनकर बाबुलकर की याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए आज यह फैसला दिया है।
पीठ ने सरकार के आठ जून 2008 के आदेश को निरस्त करते हुए मंदिर समिति को बहाल कर दिया है। पीठ ने सरकार के इस कदम को बदरी-केदार मंदिर समिति एक्ट 1939 का उल्लंघन माना है। न्यायालय का यह निर्णय सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
प्रदेश की त्रिवेन्द्र सरकार को इस मामले में यह तीसरी बार झटका लगा है।इससे पहले एकलपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए सरकार को निर्देशित किया था कि वहमंदिर समिति के एक्ट के प्रावधानों का पालन करते हुए समिति के मामले में उचित निर्णय ले।इसके बाद सरकार ने आठ जून 2017 को आदेश पारित करते हुए मंदिर समिति को पुनः भंग कर दिया।इससे पहले सरकार ने एक अप्रैल 2017 को सत्ता संभालते ही सबसे पहले बदरी-केदार मंदिर समिति को भंग कर दिया था।
सरकार के इस कदम को समिति के सदस्य दिवाकर चमोली तथा दिनकर बाबुलकर ने पुनः एकलपीठ में चुनौती दी। पीठ ने 15 जून 2017 को फिर सरकार को झटका दिया और पहली ही सुनवाई में ही सरकार के आदेश पर स्थगनादेश पारित कर दिया। इसके बाद सरकार द्वारा एकलपीठ के अंतरिम आदेशा को विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी गयी।
उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकलपीठ के अंतरिम आदेश को सही मानते हुए सरकार को फिर झटका दे दिया।खंडपीठ ने सरकार की अपील को खारिज करते हुए मामले को अंतिम सुनवाई के लिए एकलपीठ में वापस भेज दिया।
आज अंतिम सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने मंदिर समिति को भंग करने संबंधी सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया और समिति को पूर्ण रूप से बहाल कर दिया।