युद्ध में जापान के द्वारा ‘कंफर्ट वूमेन’ का इस्तेमाल ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’: मून जे-इन

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने आज कहा कि जापान की ओर से युद्ध के दौरान ‘कंफर्ट वूमेन’ का इस्तेमाल करना ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ था। जे-इन के इस बयान पर जापान ने कड़ी आपत्ति जतायी है;

Update: 2018-03-01 15:55 GMT

सोल। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने आज कहा कि जापान की ओर से युद्ध के दौरान ‘कंफर्ट वूमेन’ का इस्तेमाल करना ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ था। जे-इन के इस बयान पर जापान ने कड़ी आपत्ति जतायी है।

जे-इन ने जापान के आक्रमण के खिलाफ कोरिया के विरोध की यादगार को लेकर मनाये जाने वाले राष्ट्रीय अवकाश के अवसर पर दिये गये भाषण में यह बात कही। उन्होंने कहा कि जापान इस गंभीर मुद्दे को शांत करने की स्थिति में नहीं है।

उन्होंने कहा, “ कंफर्ट वूमेन मुद्दे के समाधान के लिए दोषी जापान की सरकार को यह नहीं कहना चाहिए कि मामला निपट गया है। युद्ध के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के मुद्दे का निपटारा केवल एक शब्द से नहीं हो सकता। इसका सही समाधान इस दुखद इतिहास को याद रखकर इससे सबक सीखकर ही निकलेगा। ”

जापान ने  जे-इन के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जतायी है। जापानी कैबिनेट के चीफ सेक्रेटरी योशिहिदे सुगा ने पत्रकारों से कहा कि श्री जे-इन का बयान ‘अत्यंत अफसोसनाक’ है। सुगा ने उत्तर कोरिया के खतरे का सामना करने के लिए दक्षिण कोरिया और जापान के बीच सहयोग की अपील भी की।

वर्ष 1910-45 के औपनिवेशिक काल में जापान ने युद्ध के दौरान वेश्यालयों में काम करने को कोरिया प्रायद्वीप की मजबूर किया गया था। जापान ने इसके लिए महिलाओं से माफी मांगते हुए 2015 में हुए समझौते के अनुसार एक अरब येन का हर्जाना दिया था लेकिन दक्षिण कोरिया फिर से इसी मुद्दे को उठा रहा है।

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