यूपी विधानसभा में उपाध्यक्ष के चुनाव का मुद्दा उठा

  उत्तर प्रदेश विधानसभा में उपाध्यक्ष के चुनाव नहीं कराने और गोंड़ तथा खरवार को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं देने का मुद्दा आज जोरशोर से उठा। ;

Update: 2018-02-13 16:39 GMT

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश विधानसभा में उपाध्यक्ष के चुनाव नहीं कराने और गोंड़ तथा खरवार को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं देने का मुद्दा आज जोरशोर से उठा। 

शून्य प्रहर में समाजवादी पार्टी (सपा) ने सूचना के तहत यह मामला उठाया, हालांकि अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने दोनों सूचनाओं को अग्राह्य कर दिया। सपा के नितिन अग्रवाल ने कहा कि राज्य के 13 जिलाें में गोंड़ और खरवार जातियाें की जनसंख्या अधिक है। इन्हें अनुसूचित जाति में शामिल किया जाये। इन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में रखकर प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिये। 

 अग्रवाल ने कहा कि लम्बे समय से उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ है। अब तक विधानसभा के 17 उपाध्यक्ष हो चुके हैं। इस पद के लिये अंतिम बार मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में चुनाव हुआ था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजेश अग्रवाल उपाध्यक्ष चुने गये थे। इस विधानसभा के गठन को करीब एक वर्ष हो रहा है। चुनाव होना चाहिये। 

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार को चुनाव कराने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन फैसला अध्यक्ष को करना है। श्री खन्ना ने कहा कि पिछली सपा सरकार के दौरान उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं करवाया गया था और अब इसकी मांग की जा रही है। 

नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि 13 जिलों के जिलाधिकारी गोंड़ और खरवार को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं। राज्य मुख्यालय से आदेश होने के बावजूद 13 जिलाधिकारी इसे नहीं मान रहे हैं। वर्ष 2001 जनगणना के अनुसार करीब 1़ 3 प्रतिशत गोंड़ और 0़ 3 फीसदी खरवार हैं। 

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