युद्ध का नहीं है आज का युग : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय वार्ता की;
समरकंद/उज़्बेकिस्तान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर बातचीत हुई।
मोदी ने कहा कि आज का युग युद्ध का नहीं है। पुतिन ने मोदी को रूस आने का न्यौता भी दिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक में मोदी ने कहा कि आज भी दुनिया के सामने जो सबसे बड़ी समस्याएं हैं, खासकर विकासशील देशों के लिए फूड सिक्योरिटी, फ्यूल सिक्योरिटी, उर्वरकों की जो समस्याएं हैं, उस पर हमें रास्ते निकालने होंगे। आपको भी उस पर पहल करनी होगी। मोदी ने कहा कि मैं आपका और यूक्रेन का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि संकट के काल में शुरू में जब हमारे हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे थे। आपकी और यूक्रेन की मदद से हमारे छात्रों को हम निकाल पाए। उन्होंने कहा कि आज का युग युद्ध का नहीं है। हमने फोन पर आपके कई बार इस बारे में बात भी की है कि लोकतंत्र कूटनीति और संवाद दुनिया को एक स्पर्श करती हैं।
मोदी ने कहा कि हम पिछले कई दशकों से हर पल एक दूसरे के साथ रहे हैं। लगातार दोनों देश इस क्षेत्र की भलाई के लिए काम कर रहे हैं। एससीओ समिट में भी आपने भारत के लिए जो भावनाएं व्यक्त की हैं उसके लिए मैं आपका आभारी हूं। मोदी ने कहा कि हमारी यात्रा 2001 से जारी है। 22 साल में हमारे रिश्ते बहुत मजबूत हुए हैं और यह और भी मजबूत होते जा रहे हैं। पूरी दुनिया हमारे अटूट रिश्ते से वाकिफ है। हमें मिलकर काम करना होगा।
यूक्रेन संकट पर बोले पुतिन
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कहा कि मैं यूक्रेन में संघर्ष पर आपकी स्थिति और आपकी चिंताओं के बारे में भी जानता हूं। हम चाहते हैं कि यह सब जल्द से जल्द खत्म हो। हम आपको वहां क्या हो रहा है, इसकी जानकारी देते रहेंगे।
भारत 2017 में एससीओ में हुआ शामिल
एससीओ यानी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का गठन 2001 में हुआ था। एससीओ एक पॉलिटिकल, इकोनॉमिकल और सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन है। भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान समेत इसके कुल 8 स्थाई सदस्य हैं।
2017 में भारत और पाकिस्तान के भी इससे जुड़ने से इसके स्थाई सदस्यों की संख्या 8 हो गई। 6 देश, आर्मीनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और टर्की एससीओ के डायलॉग पार्टनर हैं। 4 देश, अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया इसके ऑब्जर्वर सदस्य हैं।