सहकारिता की भावना का गला घोंटा जा रहा है : शिवपाल

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि पहले तो प्रदेश सरकार द्वारा सहकारी समिति (संशोधन) अध्यादेश को जल्दबाजी में लागू किया गया;

Update: 2020-08-23 07:47 GMT

लखनऊ। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक की शाखाओं का निर्वाचन स्थगित किए जाने की मांग करते हुये आरोप लगाया कि कुछ भ्रष्ट, असक्षम एवं नकारा अधिकारियों द्वारा सरकार में बैठे कुछ लोगों के इशारे पर सहकारिता की मूल भावना का गला घोंटा जा रहा है।

श्री यादव ने शनिवार को कहा कि पहले तो प्रदेश सरकार द्वारा सहकारी समिति (संशोधन) अध्यादेश को जल्दबाजी में लागू किया गया। प्रबंध समितियों से अधिकारों को लेने से उसका लोकतांत्रिक ढांचा बिखर चुका है और अब कोरोना संकट में जब जल्दबाजी में चुनाव कराकर निर्वाचन आयोग(सहकारिता), चुनाव प्रक्रिया में लगे सरकारी कर्मचारी, डेलीगेट और प्रत्याशी को संक्रमण के जोखिम में ढकेलने जा रहा है। जब सहकारी प्रबंध समितियों से अधिकार पहले ही लिए जा चुके हैं तो इतना जोखिम उठाने से अच्छा है कि सरकार सहकारी प्रबंध कमेटी की जगह सरकारी करण कर दे।

उन्होने कहा कि गांधीजी ने भारतीय समाज और गांवों का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने गांवों का विकास सहकारिता से करने की पैरवी की थी। अब किसान नौकरशाही के जाल में फंस कर रह गया है, ऐसे में जिस पवित्र भावना से सहकारिता आन्दोलन का जन्म हुआ था, वह संकट में है।

प्रसपा प्रमुख ने कहा कि देश ने हाल में ही राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती मनाई है। ऐसे में राष्ट्रपिता की दुहाई देने वाली सरकार द्वारा सहकारिता के मूल भावना की हत्या दुःखद है। सहकारी आन्दोलन का जन्म हाशिए पर पड़े गरीब किसानों को सूदखोर महाजनों से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। सहकारी समितियों की आतंरिक संरचना इसकी शुरुआत से ही लोकतांत्रिक रही है।

उन्होने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त,सहकारिता ने बैंक के निर्वाचन के लिये अधिसूचना पिछले साल 27 दिसम्बर में जारी की थी, जिसके अनुसार बैंक के निर्वाचन की प्रक्रिया 10 फरवरी से तीन अप्रैल, 2020 तक सम्पन्न होनी थी। इसी क्रम में 17 जनवरी को चुनाव आयुक्त ने यूपी सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के चुनाव को वन टाइम सेटलमेंट और लोनिंग और वसूली में असक्षम साबित हुई 61 शाखाओं के मर्जर के नाम पर आगे बढ़ा दिया था। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करना था।

वन टाइम सेटलमेंट और लोनिंग और वसूली में असक्षम साबित हुई शाखाओं के मर्जर का कार्य अभी भी लम्बित है, इसके आड़ में मतदाता सूची में हेर फेर किया गया है और फिर 15 जुलाई को उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के चुनाव के लिये नई अधिसूचना जारी कर दी गई जिसके अनुसार बैंक के निर्वाचन की प्रक्रिया 21 अगस्त से 23 सितम्बर तक सम्पन्न होना सुनिश्चित की गई है।

शिवपाल ने कहा कि बैंक का निर्वाचन गांव स्तर पर स्थापित बैंक शाखाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है और शाखा स्तर पर निर्वाचन के लिये प्रत्येक प्रत्याशी को प्रचार हेतु गांव-गांव भ्रमण करके सदस्यों से सम्पर्क करना होता है। आज की परिस्थिति में कोरोना महामारी को देखते हुए निर्वाचन के लिये जनसम्पर्क कर पाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है।

उन्होने कहा कि कोरोना संक्रमण के संकट को देखते हुए ही ग्राम पंचायत के चुनाव बढ़ा दिये गये हैं, विधान परिषद के स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव की तिथि बढ़ा दी गयी है और इसी क्रम में उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक की समस्त शाखाओं का निर्वाचन भी स्थगित हो।

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