बिहार के सबसे बड़े हॉस्पिटल की हकीकत 'मारपीट गुंडागर्दी'
बिहार के सुशासन बाबू और उनके नेता लगातार बिहार के डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां को गिनाते थकते नहीं है;
- मुकुंद सिंह
पटना। बिहार के सुशासन बाबू और उनके नेता लगातार बिहार के डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां को गिनाते थकते नहीं है। लेकिन जब विभाग की जमीनी हकीकत सामने आती है तो सभी चुप्पी साथ लेते हैं। कुछ इसी तरह का मामला बिहार के सरकारी अस्पतालों का है। हम बात कर रहे हैं बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच की जहां इलाज कम गुंडागर्दी ज्यादा होता है।
आए दिन अस्पताल से मारपीट की खबरें सामने आती है कभी पत्रकारों के साथ मारपीट तो कभी मरीज के परिजनों के साथ मारपीट कर उनके आवाज को दबायाजाता है।यू कहे कि बिहार के बीमार अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही को उजागर किया गया तब तब डॉक्टर ने मारपीट की और अपनी नाकामी को छुपाने के लिए हड़ताल का हुंकार भरने लगे। अस्पताल के डॉक्टरके आगे नतमस्तक हुई सरकार भी डॉक्टर का आंदोलन खत्म करवाने की जुगाड़ में लग जाती है। कुछ ऐसा ही सिलसिला पिछले कई दशक से बिहार के पीएमसीएच में चलता आ रहा है। अस्पताल में भर्ती होना और इलाज करवाना तो भगवान खोजने के बराबर है । सरकार किसी का भी हो कभी कठोर करवाई नहीं की गई। आई आज आपको बताते हैं मच का हकीकत....
बताते चलें कि पिछले ही महीने करोड़ों की लागत से सरकारी पीएमसीएच अस्पताल का नया भवन बनवाया गया था। जिसे बड़े ही जोर-शोर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन किया था और बिहार के स्वास्थ्य भाग के साथ-साथ बिहार के मरीजों को इलाज मैं हो रही कठिनाई को दूर करने की लंबे चौड़े वादे किए थे। लेकिन नेताओं के वादे का क्या मंच से उतरते ही अधिकारियों के सामने सभी वादे फेल हो जाते हैं।
ताजा मामला पिछले दिनों का है जहां मुजफ्फरपुर की रहने वाली एक नाबालिक लड़की के साथ बलात्कार हुआ था और वह इलाज करवाने पीएमसीएच पहुंची थी। लेकिन वहां के डॉक्टरों ने ना तो उसे एंबुलेंस से बाहर निकाला और ना ही सिर्फ भर्ती किया । जब यह मामला राजनीतिक गलियारों में गूंजने लगा तो कग्रेस के नेता सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने लगे इसके बाद पीड़ित बच्ची को इलाजके लिए भर्ती किया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बच्ची की मौत के बाद विपक्ष के सभी नेताओं ने डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर हंगामा करने लगे । मामला बढ़ता देख डॉक्टर ने पत्रकारों के सामने आकर डॉक्टरी भाषा में पूरी मामले को आसानी से समझा दिया।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह कि जब वह बच्ची अस्पताल इलाज के लिए पहुंची थी तभी डॉक्टर के द्वारा इलाज शुरू कर दिया जाता तो शायद वह बच जाती लेकिन गरीबी से लाचार पीड़िता बिहार के तानाशाह सिस्टम के आगे हर गई। सही समय पर इलाज ना होने को लेकर अब सरकार दो सही पर क्या कार्रवाई करती है यह देखना होगा।
बिहार के सरकारी अस्पताल के लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई बार इलाज के अभाव में कई बीमारी ने दम तोड़ दिया है। अगर धोखा से भी उनके परिजन डॉक्टरों की लापरवाही का वीडियो या फोटो निकालने की कोशिश करते है तो उन्हें इस तरह कूट दिया जाता है कि दोबारा अपने जीवन में मच इलाज के लिए आने की कल्पना भी नहीं करते। मरीज के परिजनों की बात तो छोड़िए ,अपने आप में अपनी तानाशाही का परिचय पीएमसीएच अस्पताल इस तरीके से देता कि जब कोई पत्रकार न्यूज़ बनाने वहां पहुंचता है तो उनके साथ भी मार पीट की घटना को अंजाम देता है। इसे पीएमसीएच की गुंडई नहीं तो और क्या कहेंगे । खैर यह कब और कैसे खत्म होगा या तो बताया नहीं जा सकता पर सरकार को संज्ञान लेने तथा कार्रवाई करने की की जरूरत है।