संसद की प्राथमिक भूमिका संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना है : जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में राज्यसभा के नव निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्यों के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर सदस्यों को संबोधित किया;

Update: 2024-07-27 23:55 GMT

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में राज्यसभा के नव निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्यों के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर सदस्यों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संसद की प्राथमिक भूमिका संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना है।

उन्होंने आगे कहा कि संसद से बड़ा लोकतंत्र का संरक्षक कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, "यदि लोकतंत्र पर कोई संकट आता है, यदि लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला होता है, तो आपकी भूमिका निर्णायक होती है।"

धनखड़ ने स्पष्ट रूप से कहा कि संसद में चर्चा के लिए कोई भी विषय वर्जित नहीं है, बशर्ते उचित प्रक्रिया का पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि सदन की प्रक्रिया के नियमों में निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन किए जाने पर अध्यक्ष के आचरण सहित किसी भी विषय पर चर्चा की जा सकती है।

संसद की स्वायत्तता और अधिकार पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि "संसद अपनी प्रक्रिया और कार्यवाही के लिए सर्वोच्च है। संसद में कोई भी कार्यवाही समीक्षा से परे है, चाहे वह कार्यपालिका हो या कोई अन्य प्राधिकारी।"

उन्होंने कहा कि "संसद के अंदर जो कुछ भी होता है, उसमें अध्यक्ष के अलावा किसी को भी हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। यह कार्यपालिका या किसी अन्य संस्था का नहीं हो सकता।"

धनखड़ ने संसद में सदस्यों द्वारा अपनाई गई हिट एंड रन रणनीति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि एक सदस्य संसद में बोलने से पहले मीडिया को बाइट देते हैं और फिर संसद में आते हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में कई सदस्य सिर्फ मीडिया और लाइमलाइट में बने रहने के लिए संसद में दूसरे सदस्यों की बात सुने बिना सदन से बाहर चले जाते हैं और फिर बाहर जाकर मीडिया को बाइट देते हैं।

उन्होंने सदस्यों के बारे में कहा कि मुद्दों पर बात करने के बजाय व्यक्तिगत हमले करने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। कुछ लोगों को खुश करने के लिए चिल्लाने और नारे लगाने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा, "इससे बड़ी विभाजनकारी गतिविधि कोई और नहीं हो सकती।"

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