योजनाओं पर अमल नहीं करना पड़ा महंगा स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची से बाहर हुआ शहर
उद्योग, व्यवसाय, ट्रांसपोटेशन व फैशन के क्षेत्र में विश्वस्तरीय पहचान बनाने में सफल हाइटेक शहर नोएडा राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के विजेता शहरों की सूची में शामिल नहीं हो सका;
नोएडा। उद्योग, व्यवसाय, ट्रांसपोटेशन व फैशन के क्षेत्र में विश्वस्तरीय पहचान बनाने में सफल हाइटेक शहर नोएडा राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के विजेता शहरों की सूची में शामिल नहीं हो सका। यहा स्वच्छता को लेकर योजनाएं तो बनाई गई लेकिन देरी होने से उसे अमल में अब तक नहीं लाई जा सका।
42 साल बाद भी प्राधिकरण के पास कचरा निस्तारण का कोई साधन नहीं है। इसका विरोध शहरवासी लगातार करते आ रहे है। वर्तमान में भी कचरा निस्तारण प्राधिकरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसके बाद भी अधिकारी देरी से अप्लाई करना इसकी वजह बता रहे है। इसी वजह से चयन समिति ने उनके आवेदन पर गौर तक नहीं किया।
राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण की विजेता सूची में शामिल होने के लिए डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, सूखे और गीले कचरे के विभाजन, डंपिंग यॉर्ड और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट शामिल है। इन विषयों पर काम कर रहे शहरों को अंक दिए जाते है। शहर में यह सभी योजनाएं शुरुआती स्टेज पर है। जबकि इन योजनाओं की प्लानिंग कई सालों पहले ही नोएडा प्राधिकरण ने बना ली थी। सेक्टर-123 में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट आज की योजना नहीं बल्कि काफी सालों पुरानी है।
हम कह सकते है कि एनजीटी में डाली गई एक याचिका के बाद नोएडा प्राधिकरण ने अपने पक्ष में इसका जवाब भी दिया था। जिसमे याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की सेक्टर-123 में नहीं बन सकता प्राधिकरण अधिकारियों ने ही इस योजना को खारिज किया था। यह खुलासा एक आरटीआई के जवाब में दिया गया था। जबकि एनजीटी में नोएडा प्राधिकरण ने इसे गलत साबित करते हुए अपना पक्ष रखा और बताया कि योजना के तहत वहीं प्लांट बनाया जाना है।
ऐसे में एनजीटी के आदेश पर प्राधिकरण के एक अधिकारी से मामले में रिपोर्ट भी मांगी गई। जाहिर है योजना बनी लेकिन अमल में नहीं लाई गई। यानी वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बहुत पहले ही बन जाना चाहिए था। इसके साथ डोर टू डोर क्लेक्शन, सूखे गीले कचरे का विभाजन , डंपिंग यॉर्ड की व्यवस्था भी पहले ही हो जानी चाहिए थी। लेकिन नहीं हो सकी। फिलहाल प्राधिकरण अधिकारी देरी से अप्लाई करना नाम न आने की वजह बता रहे है।
प्राधिकरण ने दिसंबर-2017 में राष्ट्रीय स्वच्छा सर्वेक्षण के लिए आवेदन किया। विजेता सूची में शामिल होने के लिए कई प्रयास भी किए। जिसमे आरडब्ल्यूए को कंपोस्टिंग मशीन लगाने के लिए कहा। जिसमे मशीन की लागत का 75 प्रतिशत पैसा प्राधिकरण खुद वहन को तैयार था।
इसके अलावा एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। योजना फेल हो गई। कचरा सेंटरों पर ही कंपोस्ट करने की योजना बनाई। पहले से बन चुके डंपिंग ग्राउंड को साफ कर वहां पार्क विकसित करने का प्रयास अब भी जारी है। लेकिन यह प्रयास प्राधिकरण को सफल नहीं बना सके।
शहरवासियों का बढ़ता विरोध बना वजह
सेक्टर-54,76 व 137 में कचरा फेंका जाता था। जिसको लेकर शहरवासियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया। कचरा फेंकना बंद हुआ और सेक्टर-123 में 25 एकड़ क्षेत्र में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट नोटिफाइड किया गया। इसके विरोध में महीनों विरोध किया गया। केंद्रीय मंत्री ने भी आश्वासन दिया। सेक्टर-54 में भी उन्हीं के आदेश पर कचरा फेंका जाना बंद किया गया। लेकिन निर्देशो को ठेंगा दिखाते हुए वर्तमान में सेक्टर-54 में कचरा फेंका जा रहा है। सर्वेक्षण में नाम नहीं आने की एक बड़ी वहज यही भी रही।