खत्म नहीं हुई जारी है लड़ाई

 नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा है, कि नर्मदा घाटी की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, उसे आगे जारी रखने की रणनीति पर विचार करना चाहिए;

Update: 2017-09-22 13:50 GMT

नई दिल्ली। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा है, कि नर्मदा घाटी की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, उसे आगे जारी रखने की रणनीति पर विचार करना चाहिए। इसके लिए देश भर के तमाम समान विचाऱधारा वाले संगठनों के साथ मिलकर काम करने की जरुरत है। 

मेधा पाटकर कंस्टीट्यूशन क्लब में नर्मदा आंदोलन पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रही थी। उनका कहना था, कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिस सरदार सरोवर का उद्घाटन किया है, वह अधूरा है। अदालतों के तमाम आदेशों को सरकारों ने ताक पर रख दिया। उनका कहना था, कि कई मामलों में अदालत ने विस्थापितों का साथ दिया, कई मामलों में नहीं दिया। उन्होंने कहा, कि जिनकी जमीनें गईँ, उनके साथ साथ उन लोगों के विस्थापन पर भी बात करने की जरुरत है, जो भूमिहीन कामगार हैं। मेधा ने कहा, कि इस आंदोलन से उन्होंने और देश के दूसरे आंदोलनों ने काफी कुछ सीखा। 

कार्यक्रम में बोलते हुए किसान नेता हन्नान मौल्ला ने कहा, कि उन्होंने अभी तक दुनिया में कोई ऐसा राष्ट्र प्रमुख नहीं देखा है, जिसने लोगों की संभावित बरबादी पर जश्न मनाया हो। उन्होंने नर्मदा घाटी के विस्थापितों की दशा के साथ-साथ किसानों की स्थिति और देश भर में चल रहे किसान आंदोलन पर भी अपनी बात रखी। उषा रामचंद्रन ने सवाल खड़ा करते हुए कहा, कि यह कैसा विकास है, जिसमें हजारों लोगों को कुर्बानी देनी पड़े, उन्होंने अदालत के उस निर्णय पर भी सवाल खड़े किए, जिसमें 31 जुलाई तक सभी विस्थापितों को घाटी छोड़ने का कहा था। एडवोकेट संजय पारिख ने कहा, साल 2000 के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने विस्थापितों को जमीन के बदले जमीन देने की बात कही थी।

नर्मदा ट्रिब्यूनल में भी यह तय किया गया था, पर सरकार विस्थापितों को जमीन देना नहीं चाहती थी, इसीलिए हर बार उन लोगों को बंजर जमीन दिखाई गई। उन्होंने कहा, कि नियमानुसार बांध की ऊंचाई बढ़ाने से डेढ़ साल पहले विस्थापन का काम पूरा होना चाहिए, पर हर बार सरकार ने गलत आंकड़े पेश कर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का आदेश अदालत से ले लिया। मनमोहन सरकार ने तीन मंत्रियों की टीम को घाटी भेजा था, उसकी रिपोर्ट के आधार पर ऊंचाई बढ़ाने का निर्णय टाल दिया था, जिसे इस सरकार ने आते ही पलट दिया। पूर्व ब्यूरोक्रेट केबी सक्सैना ने सरकार की नियत पर सवाल खड़े किए। संचालन एनएपीएम के मधुरेश कुमार ने किया। 
 

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