बिहार में बोल बम के जयकारे से गूंज रहा कांवड़िया पथ

बिहार के विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में सुल्तानगंज से देवघर के बीच लगभग 105 किलोमीटर कांवड़िया पथ का लंबा रास्ता ‘बोल बम’ के जयकारे से गुंजायमान;

Update: 2019-07-27 18:40 GMT

भागलपुर। बिहार के विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में सुल्तानगंज से देवघर के बीच लगभग 105 किलोमीटर कांवड़िया पथ का लंबा रास्ता ‘बोल बम’ के जयकारे से गुंजायमान है। 

पवित्र गंगा नदी सुल्तानगंज में उत्तराभिमुख प्रवाहित होती है और इस कारण यहां के गंगाजल का खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव का अभिषेक यहां के गंगाजल से करने पर बाबा बैद्यनाथ जल्द प्रसन्न होते है।

इस कारण कांवड़िया सुल्तानगंज से ही गंगाजल भरते है। यहां अजगैबीनाथ महादेव का पुराना मंदिर गंगा की मुख्य धारा के बीच है।

पहले कांवड़िया गंगा स्नान और मंदिर में पूजा कर नए केसरिया कपड़े धारण करते है। इसके बाद कांवड़िए गंगा आरती में शरीक होकर अपने को पुण्य के भागी मानते है।

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के कांवड़िया पवन चौबे और सरोज चौबे कहते है कि वे चौदह साल से हर साल कांवड़ उठाते है। बाबा सब का बेड़ा पार करते है। यह उनकी आस्था है।

लगभग 105 किलोमीटर कांवड़िया पथ पर इनदिनों चकाचौंध रौनक छाई है। पूरे पथ पर सड़क किनारे कांवड़ रखने के लिए जगह-जगह स्टैंड बने है।

सुल्तानगंज के फुटपाथों पर कांवड़, जलपात्र, बैटरी, टार्च और दूसरे जरूरी सामानों की सैकड़ों दुकानें लगी है। दिन-रात का फर्क मिट सा गया है।

कांवड़िए यहां आकर सामान खरीदते है। भागलपुर, मुंगेर एवं बांका प्रशासन का इंतजाम इस बार हरेक साल से बेहतर है। बांका के पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार गुप्ता स्वयं कांवड़िया रास्ते की निगरानी कर रहे है।

बांका का इलाका इस रास्ते में सबसे ज्यादा 60 किलोमीटर के करीब है। इसलिए वहां के पुलिस प्रशासन की जिम्मेवारी ज्यादा है। 

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