संविधान के संघीय ढांचे को ध्वस्त कर देगा एक साथ चुनाव : द्रमुक

द्रमुक नेता एम.के. स्टालिन ने रविवार को यहां कहा कि उनकी पार्टी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विधि आयोग के विचार का विरोध करेगी;

Update: 2018-07-08 21:06 GMT

चेन्नई। द्रमुक नेता एम.के. स्टालिन ने रविवार को यहां कहा कि उनकी पार्टी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विधि आयोग के विचार का विरोध करेगी। यहां संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रस्ताव गलत है और यह संविधान के खिलाफ है।

स्टालिन ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव पर अपने विचार विधि आयोग को दे दिए हैं।

स्टालिन द्वारा हस्ताक्षरित अपनी प्रस्तुति में द्रमुक ने प्रस्ताव का पूरे दिल से विरोध किया है और इसे एक पूर्ण विपदा करार दिया है, जो संघीय ढांचे को ध्वस्त कर देगा। 

पार्टी ने यह भी चिन्हित किया कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा नीत सरकार के अनुरोध पर कानून आयोग ने 1999 में अपनी 170वीं रपट में इसी मुद्दे पर अध्ययन किया था और अपनी रपट सौंपी थी।

द्रमुक ने कहा, "अब तक इसकी सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस बीच, 2015 में कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय (जिसमें देश भर के सभी प्रमुख राजनीतिक दल शामिल हैं) पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी 79वीं रपट में निष्कर्ष निकाला कि इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों की सर्वसम्मति प्राप्त करना मुश्किल है और 2016 में या फिर एक दशक तक एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं हो सकता।"

पार्टी ने यह भी कहा कि एक बार फिर उसी तरह की रपट तैयार करने के लिए विधि आयोग की अनावश्यक कसरत आपत्तिजनक है और इससे आयोग की विश्वसनीयता को नुकसान होने का भी एक खतरा है। 

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