विधायकों की सदस्यता को रद्द किया जाना कहा का न्यायसंगत है: सिसोदिया

आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किये जाने के बाद दिल्ली सरकार एक बार फिर दिल्ली वासियों से मुखातिब हुई है;

Update: 2018-01-22 16:31 GMT

नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किये जाने के बाद दिल्ली सरकार एक बार फिर दिल्ली वासियों से मुखातिब हुई है और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक खुला खत जारी करते हुए राजधानी के लोगों से पूछा है कि वे तय करें कि पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किया जाना कहां तक न्यायसंगत है।

 सिसोदिया ने लिखा है “मैं इस खत के जरिए दिल्ली वासियों से सीधे संवाद करना चाहता हूं। जो कुछ हुआ है उससे मैं दुखी जरुर हूं लेकिन निराश नहीं हूं क्योंकि मुझे आप लोगों पर पूरा भरोसा है।

क्या चुने हुए विधायकों को इस तरह गैर कानूनी और गैर संवैधानिक तरीके से हटाया जाना सही है। क्या दिल्ली को दोबारा चुनाव में धकेलना सही है। क्या यह सब एक गंदी राजनीति नहीं है।

उप मुख्यमंत्री ने दावा किया कि जिस लाभ के पद का आरोप लगाकर इन विधायकों को हटाया जा रहा है उस पद के लिए उन्हें कोई वेतन भत्ते नहीं दिए गए ऐसे में यह पद लाभ का पद कैसे हो गया।

उन्होंने कहा कि आप के इन विधायकों ने निर्वाचन आयोग से अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा था जिसपर आयोग ने 23 जून को भेजे पत्र में कहा भी था कि उनकी बात सुनने के लिए समय दिया जाएगा लेकिन उसके बाद सुनवायी की कोई तारीख नहीं दी गयी और अब उनपर लाभ के पद का आरोप मढ़ कर उनकी सदस्यता खत्म कर दी।

 सिसोदिया ने कहा कि बिना मौका दिए केन्द्र द्वारा विधायकों की सदस्यता रद्द किया जाना दिल्ली वासियों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि पता नहीं केन्द्र सरकार ऐसा क्यों कर रही है।

“ वह हमारे पीछे क्यों पडी हुयी है। आखिर हमारी गलती क्या है। बीस विधायकों की सदस्यता खत्म कर उसने दिल्ली की 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव के हालात बना दिए है जिससे अगले दो सालों तक यहां विकास की गतिविधियां थम जाएंगी। उन्हाेंने दिल्ली वासियों से इसका करार जवाब देने के लिए कहा।”

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लाभ के पद के मामले में आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की चुनाव आयोग की सिफारिश पर रविवार को मुहर लगा दी थी।

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