हस्तिनापुर के प्राचीन गौरव की होगी बहाली, बनेगा संग्रहालय
उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित पौराणिक स्थली हस्तिनापुर में भी विकास के पंख लगेंगे। शनिवार को आम बजट में इसकी झलक देखने को मिली है;
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित पौराणिक स्थली हस्तिनापुर में भी विकास के पंख लगेंगे। शनिवार को आम बजट में इसकी झलक देखने को मिली है। महाभारतकालीन हस्तिनापुर के जीर्णोद्धार के लिए वर्षो से आवाजें उठती रहीं, लेकिन उपेक्षा व मायूसी ही मिली। वित्तमंत्री की हस्तिनापुर के पुरातात्विक विकास की घोषणा से इसके प्रचीन गौरव की बहाली होगी। बजट पास होने से हस्तिनापुर के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। हस्तिनापुर के पौराणिक स्थलों सहित हस्तिनापुर को नई सौगात मिलने की घोषणा होने के बाद निश्चित रूप से हस्तिनापुर का विकास होगा। ऐसे में लोग इस बजट को पश्चिमी यूपी के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल के लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं। यह फिर से एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकेगा।
एक लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार कुरु राज्य की राजधानी रहे हस्तिनापुर को उसका हक और गौरव दोनों मिल ही गए। वित्तमंत्री ने पुरातात्विक महत्व वाले पांच स्थानों- राखीगढ़ी (हरियाणा), हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), शिवसागर (असम), धोलावीरा (गुजरात) और आदिचनल्लूर (तमिलनाडु) को आइकोनिक स्थलों के रूप में विकसित करने का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि इन जगहों पर राष्ट्रीय म्यूजियम भी बनाए जाएंगे।
हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाभारतकालीन नगरी हस्तिनापुर की बदहाली का संज्ञान पहले ही ले चुके हैं। विधान परिषद सदस्य और पूर्व मंत्री यशवंत सिंह के पत्र के बाद उन्होंने पर्यटन विभाग और संस्कृति निदेशालय को हस्तिनापुर का गौरव बहाल करने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश पहले से ही दिए गए हैं।
भाजपा एमएलसी यशवंत सिंह बिजनौर लोकसभा सीट पर चुनाव के दौरान अप्रैल 2019 में हस्तिनापुर गए थे। उन्होंने इस ऐतिहासिक नगरी की बदहाली को करीब से देखा था। उन्होंने संस्कृति, इतिहास और पत्रकारिता से जुड़े बुद्धिजीवियों का दल 25 दिसंबर को हस्तिनापुर भेजा। इसी दल की रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने 30 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भारत का गौरव रहे हस्तिनापुर की दुर्दशा को लेकर पत्र लिखा था।
मुख्यमंत्री ने उनके खत को संज्ञान में लेते हुए पर्यटन विभाग और संस्कृति निदेशालय को हस्तिनापुर का गौरव बहाल करने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।
यशवंत सिंह ने बताया कि "मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मेरे आवेदन पर हस्तिनापुर का प्राचीन गौरव बहाल करने के लिए वहां का विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का निर्देश दे रखा है। केंद्र सरकार के फैसले से अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ महाभारत कालीन हस्तिनापुर का भी विकास हो सकेगा।"
एमएलसी ने कहा कि धर्मराज युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव की स्मृति को ताजा करने वाला पांडेश्वर मंदिर फिर से वह सम्मान पाएगा जो उसे मिलना चाहिए था। दानवीर कर्ण का मंदिर हो, भीष्म पितामह की जन्मकथा को जी रही बूढ़ी गंगा या अमृत कुआं सबके दिन अब बहुरेंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है।
आजादी के बाद हस्तिनापुर की बदहाली का तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संज्ञान में लिया। जवाहरलाल नेहरू ने खुद 6 फरवरी, 1949 को हस्तिनापुर के पुनर्निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था। इसके साक्षी के रूप में वह शिलालेख अभी भी पार्क में मौजूद है। इस शिलालेख की उम्र अब सत्तर साल की हो गई है। इस बीच देश व प्रदेश में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन हस्तिनापुर की पीड़ा की तरफ किसी ने नजर डालने की जरूरत नहीं समझी।
इतिहासकारों का कहना है कि यहां पर महाभारतकालीन कई प्रमाण है। इससे पता चलता है कि यहां का जुड़ाव श्रीकृष्ण, धृतराष्ट्र, दुयरेधन समेत पांडवों से जुड़ा है।
प्राचीन ऐतिहासिक नगरी हस्तिनापुर मेरठ से 48 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व दिशा में गंगा नदी के किनारे स्थित है। दिल्ली से यह दूरी करीब 110 किलोमीटर है। कौरवों की राजधानी रही प्राचीन नगरी कौरवों और पांडवों की ऐतिहासिक गाथा की साक्षी है।