एजी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, किसान आंदोलन में खालिस्तान समर्थक घुस आए हैं
अटॉर्नी जनरल (एजी) के.के. वेणुगोपाल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन में खालिस्तान समर्थकों ने घुसपैठ कर ली है;
नई दिल्ली। अटॉर्नी जनरल (एजी) के.के. वेणुगोपाल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन में खालिस्तान समर्थकों ने घुसपैठ कर ली है। सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एजी से कहा कि अगर किसी प्रतिबंधित संगठन द्वारा घुसपैठ हुई है, तो सरकार को इसकी 'पुष्टि' करनी होगी।
अदालत ने इस संबंध में केंद्र से बुधवार तक हलफनामा दायर करने के लिए भी कहा। इस पर एजी ने जवाब दिया, "हां, मैं एक हलफनामा और आईबी रिपोर्ट दाखिल करूंगा।"
पीठ ने यह टिप्पणी नए कानूनों की समर्थक इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. नरसिम्हा की उस दलील के बाद सामने आई, जिसमें उन्होंने कहा कि सिख फॉर जस्टिस जैसे समूह कानूनों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं।
नरसिम्हा ने कहा, "इस तरह का विरोध बहुत खतरनाक हो सकता है।" इस पर प्रधान न्यायाधीश ने एजी से कहा, "क्या आप इसकी पुष्टि करेंगे?" एजी ने जवाब दिया, "हमने कहा है कि खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ की है।"
उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रीय राजधानी में एक लाख लोगों को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दे सकती। एजी ने कहा, "एक समूह संसद में जा सकता है। दूसरा समूह शीर्ष अदालत में आ सकता है।"
प्रधान न्यायाधीश ने एजी से कहा, "अगर किसी प्रतिबंधित संगठन घुसपैठ कर रहा है तो क्या यह आपके पावर में नहीं है कि आप लोगों की संख्या की जांच करें और देखें कि क्या वे हथियारबंद हैं या नहीं।"
इस पर एजी ने कहा कि घुसपैठ के पहलू पर वह आईबी की रिपोर्ट पेश करेंगे।
एजी ने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली की जाएगी और किसानों को किसी भी तरह का व्यवधान पैदा करने से रोकने के लिए शीर्ष अदालत के समक्ष दिल्ली पुलिस द्वारा दायर निषेधाज्ञा के आवेदन का हवाला दिया गया है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालत नोटिस जारी करेगी और सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।
सुनवाई के अंत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दोहराया कि सरकार पहले दिन से कह रही है कि कुछ लोग निजि स्वार्थो के साथ कृषि कानूनों के बारे में आशंका फैलाने और उन्हें गुमराह करने के लिए विरोध में शामिल हुए हैं।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को हुई सुनवाई में इन कानूनों को लागू किए जाने पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन किया है।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने मंगलवार को शीर्ष अदालत के सामने कहा कि किसान आंदोलन में खालिस्तानी संगठनों की घुसपैठ है।