सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सज़ा बरकरार रखी

सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिसंबर 2012 में घटी सामूहिक दुष्कर्म की घटना के सभी चारों दोषियों की फांसी की सजा शुक्रवार को बरकरार रखी;

Update: 2017-05-05 15:24 GMT

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिसंबर 2012 में घटी सामूहिक दुष्कर्म की घटना के सभी चारों दोषियों की फांसी की सजा शुक्रवार को बरकरार रखी। फैसले के दौरान निर्भया के माता-पिता कोर्ट में मौजूद थे। जजों के फैसला सुनाने के बाद कोर्ट में तालियां बजीं। 

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने चारों अपराधियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय की दिल्ली उच्च न्ययालय के फैसले के खिलाफ अपील ठुकराते हुए फांसी की सजा बरकार रखी।

न्यायालय ने निर्भया के साथ हुई बर्बर घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह जघन्य अपराध था और इसे विरलों में विरलतम (रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर) की श्रेणी में रखा जाना उचित है। तीनों न्यायाधीशों का फैसला सहमति वाला था लेकिन न्यायमूर्ति भानुमति ने इस मामले में अलग से अपना आदेश सुनाया।

गैंगरेप के चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च  2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी। 

आपको बता दे की 16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। उसके दोस्त को बस से बाहर फेंक दिया गया था। 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में लड़की की मौत हो गई थी।


 

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