​​​​​​राजीव हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया नोटिस 

राजीव गांधी हत्याकांड मामले के दोषियों की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके बेल्ट बम बनाने के षडयंत्र से जुड़ी जांच के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का आज निर्देश दिया;

Update: 2017-08-17 17:08 GMT

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले के दोषियों की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके बेल्ट बम बनाने के षडयंत्र से जुड़ी जांच के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का आज निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से बम बनाने से संबंधित मल्टी डिसिप्लीनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) की जांच के बारे में स्थिति रिपोर्ट देने को कहा। इस हत्याकांड में दोषी ठहराये गये एजी पेरारिवलन ने दावा किया था कि बम बनाने के पीछे के षडयंत्र संबंधी पहलू की उचित जांच नहीं की गयी, जिसके बाद न्यायालय ने सरकार से इस मामले में की गयी जांच के बारे में पूछा।

न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पेरारिवलन से पूछा, “आप केवल साजिश के पहलू यानी बेल्ट बम के निर्माण और उसकी डिलीवरी से जुड़े पहलुओं पर विचार की मांग कर रहे हैं, हम उस पर भी विचार करेंगे।

” पेरारिवलन ने कल एमडीएमए की जांच में कई गड़बड़ियों से संबंधित रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपी थी। पेरारिवालन की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायणन ने पीठ को बताया कि जिस बम से पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या की गयी थी, उसे बनाने के पीछे के षडयंत्र समेत कई पहलुओं पर इस मामले में उचित तरीके से जांच नहीं की गयी। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी। गत 10 अगस्त को न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ राजीव गांधी हत्याकांड मामले के दोषियों की रिहाई की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गयी थी।

राजीव गांधी हत्याकांड में सात दोषी हैं जिनके नाम हैं- पेरारिवलन, मुरुगन, शांतन, रॉबर्ट पायस, नलिनी, जयकुमार और रविचंद्रन। इनमें नलिनी को फांसी की सजा दी गई थी, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उसे उम्रकैद में बदल दिया। नलिनी के अलावा चार अन्य को भी फांसी की सजा मिली थी, जिन्हें शीर्ष अदालत ने सुनवाई में लंबा वक्त गुजर जाने के कारण उम्रकैद में बदल दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या 21 मई 1991 को लिट्टे के आत्मघाती दस्ते द्वारा श्रीपेराम्बुदूर में कर दी गयी थी।
 

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