सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात फर्जी मुठभेड़ की रपट गोपनीय रखने से किया इनकार

सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के आठ फर्जी मुठभेड़ों पर न्यायमूर्ति बेदी समिति की रपट की एक प्रति याचिकाकर्ता जावेदर अख्तर को देने का निर्देश दिया और इसे गोपनीय रखने से इनकार कर दिया;

Update: 2019-01-09 15:28 GMT

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने आज गुजरात के आठ फर्जी मुठभेड़ों से संबंधित मामलों पर न्यायमूर्ति एच.एस.बेदी समिति की रपट की एक प्रति याचिकाकर्ता प्रसिद्ध गीतकार जावेदर अख्तर को देने का निर्देश दिया और इसे गोपनीय रखने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि रपट की एक प्रति गुजरात सरकार को भी दी जाए।

न्यायमूर्ति बेदी ने आठ फर्जी मुठभेड़ों से जुड़े साक्ष्यों का मूल्यांकन किया है। ये मुठभेड़ें गुजरात में 2002 से 2006 के बीच हुई थीं।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने गुजरात सरकार की याचिका खारिज कर दी।

गुजरात सरकार ने याचिका में रपट को गोपनीय रखे जाने व मीडिया से दूर रखने की बात कही थी।

अदालत के एक सवाल के जवाब में न्यायमूर्ति बेदी ने कहा कि शीर्ष अदालत के जनवरी व फरवरी 2012 के दो आदेशों के संदर्भ में वह अकेले मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष थे, जिसके पास रपट जमा की गई।

इस जवाब को स्वीकारते हुए प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा, "अगर न्यायमूर्ति बेदी को रपट देने को अधिकृत किया गया है तो एक राज्य कैसे इस पर आपत्ति कर सकता है।"

मामले की पिछली सुनवाई में गुजरात सरकार ने रपट पर आपत्ति जताई थी। गुजरात सरकार ने कहा था न्यायमूर्ति बेदी ने मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों से परामर्श किए बिना इस रपट को जमा कर दिया।

गुजरात सरकार ने बुधवार को भी सुनवाई में विरोध किया। गुजरात सरकार ने कहा कि रपट को याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करना पक्षपात का कारण बन सकता है।

यह स्पष्ट करते हुए कि वह रपट को अंतिम मानकर व्यवहार नहीं कर रही है, पीठ ने कहा कि रपट हमारे द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही प्रभावी होगी।

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