सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रध्वज संहिता में संशोधन करने की सलाह दी

उच्चतम न्यायालय ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाये जाने के अपने पूर्व के फैसले में संशोधन करने से इन्कार करते हुए केंद्र सरकार को राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन की आज सलाह दी;

Update: 2017-10-23 19:56 GMT

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाये जाने के अपने पूर्व के फैसले में संशोधन करने से इन्कार करते हुए केंद्र सरकार को राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन की आज सलाह दी।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वह देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान संबंधी उसके फैसले के नियमन के लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन करने पर विचार करे।

खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने के बारे में उसके पहले के आदेश से प्रभावित हुए बगैर ही इस पर विचार करना होगा।

इस मामले की सुनवाई के दौरान एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि भारत एक विविधता वाला देश है और एकरूपता लाने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना जरूरी है।

खंडपीठ ने सरकार से सवाल किया कि आखिर क्यों वह राष्ट्रगान को लेकर नीति नहीं बना रही है? न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार को राष्ट्रगान पर कोई नीति जल्द से जल्द बनानी चाहिए।

खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले वर्ष नौ जनवरी की तारीख मुकर्रर की है।

न्यायालय ने श्याम नारायण चोकसी की जनहित याचिका पर सभी सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान बजाये जाने का निर्देश दिया था।

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