सुमित्रा महाजन सदन चलाने के लिए राहुल गांधी से सहयोग मांगेंगी
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन संसद के मानसून सत्र में सुचारु कार्यवाही सुनिश्चित करने के वास्ते सर्वदलीय बैठक के पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विभिन्न दलों के नेताओं के साथ अलग अलग बैठकें;
नयी दिल्ली । लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन संसद के मानसून सत्र में सुचारु कार्यवाही सुनिश्चित करने के वास्ते सर्वदलीय बैठक के पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विभिन्न दलों के नेताओं के साथ अलग अलग बैठकें करेंगी और उन्हें बताएंगी कि लोकतंत्र की साख बरकरार रखने के लिए सदन का चलना कितना ज़रूरी है।
श्रीमती महाजन ने कहा कि वह 17 तारीख को सर्वदलीय बैठक के पहले विभिन्न दलों के एक या दो नेताओं को बुलाकर निजी तौर पर बात करने की कोशिश करेंगी और उन्हें इस बात के लिए राज़ी करने का प्रयास करेंगी कि सांसदों को अपने क्षेत्र के विषयों पर बोलने का अवसर अवश्य मिलना चाहिए। इससे ही उनको अपने मतदाताओं का विश्वास हासिल होता है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की ओर से उसके नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा श्री गांधी से भी मिलेंगी क्योंकि वह कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव केवल बड़े नेताओं के बलबूते ही नहीं जीते जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नेता के करिश्मे के साथ निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार की साख एवं छवि की बड़ी भूमिका होती है इसीलिये पक्ष में बड़ी लहर होने के बावजूद लोग हार जाते हैं और विपरीत लहर में भी लोग जीतने में कामयाब रहते हैं। इसलिए सदन में सभी सदस्यों को उनकी विधायी जिम्मेदारियों के निर्वहन का मौका मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मानसून एवं शीतकालीन सत्रों में ही काम करने का अवसर है। इसके बाद चुनावी माहौल बन जाएगा। अगर सांसदों, खासकर पहली बार चुने गये सांसदों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याओं को उठाने का मौका नहीं मिलता है तो क्षेत्र में उनकी साख प्रभावित हो सकती है।
एक सवाल के जवाब में श्रीमती महाजन ने कहा कि सांसदों के व्यवहार को लेकर देश-विदेश, हर जगह सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल की विदेश यात्राओं में उन्हें इस प्रकार के सवाल सुनने को मिले हैं। प्रवासी भारतीय समुदाय ने भी संसद के अंदर वातावरण को लेकर नाखुशी का इज़हार किया है। उन्होंने कहा कि विदेशों में भारतीय लोकतंत्र को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में देखा जाता है। इसलिए ना केवल अपने देश बल्कि दुनिया भर में लोकतांत्रिक व्यवस्था की विश्वसनीयता एवं आस्था को मज़बूत करना हमारी जिम्मेदारी है।