हड़ताल से कपड़ा उद्योग को अब तक 30 से 40 हज़ार करोड़ का नुकसान

 कपडा उद्योग को जीएसटी के खिलाफ जारी इसके विरोध प्रदर्शनों तथा गत एक जुलाई से चल रही अनिश्चितकालीन हडताल के चलते अब तक 30 से 40 हजार करोड के प्रत्यक्ष नुकसान का अनुमान है;

Update: 2017-07-12 12:49 GMT

सूरत। कपड़ा उद्योग को जीएसटी के खिलाफ जारी इसके विरोध प्रदर्शनों तथा गत एक जुलाई से चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते अब तक 30 से 40 हज़ार करोड के प्रत्यक्ष नुकसान का अनुमान है जिसमें अकेले गुजरात को 10 हज़ार करोड़ का सीधा नुकसान हुआ है।

कपडा अथवा टेक्साटाइल उद्योग के लाखों कारोबारी कपडे को सीधे जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने अपना हडताल समाप्त करने के लिए या तो केवल धांगे पर कर लगाने अथवा एक अप्रैल 2019 से जीएसटी को लगाने की शर्त रख दी है।

देश में कपडा उद्योग के प्रमुख केंद्र सूरत में हडताल की अगुवाई कर रही टेक्सटाइल बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक ताराचंद कसाट तथा इसकी कोर कमेटी के सदस्य देवकिशन मंगाणी तथा ने आज यूनीवार्ता को बताया कि गुजरात के सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, जेतपुर, जामनगर, कच्छ आदि में पांच से सात लाख कपडा कारोबारी हैं और इससे सीधे अथवा परोक्ष तौर पर लाखों लोग जुडे हैं।

राज्य में कपडा कारोबारियों को बिक्री का सीधा नुकसान अब तक करीब दस हजार करोड का हो चुका है जबकि कच्चे माल से जुडे उद्योगों, परिवहन आदि को मिला कर यह 15 हजार करोड तक हो गया है। श्री मंगाणी ने कहा कि देश भर में तमिलनाडु के इरोड के अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना आदि में भी हडताल के कारण अब तक कुल मिला कर 30 से 40 हजार करोड का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा कि कपडा कारोबार में जीएसटी के चलते स्टॉक कम करने के कारण 15 जून से ही गिरावट शुरू हो गयी थी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का यह कहना कि कुछ समय पहले आभूषण पर उत्पाद शुल्क को लेकर हुई लंबी हडताल के बावजूद सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया था और कपडे और जीएसटी के मामले में भी ऐसा ही हो सकता है, सही नहीं है।

कपडा बेहद जरूरी वस्तु है जिसके बिना काम नहीं चल सका जबकि आभूषणों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह हडताल स्वत:स्फूर्त है और कल यहां के सभी कपडा बाजार संघों के अध्यक्षों और सचिवों की बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे। 
 

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